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जासूसी कांड: मुंबई-दिल्ली में CBI का छापा, तीन गिरफ्तार, आठ कंपनियों पर नजर

कॉर्पोरेट जासूसी मामले की जांच कर रही सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो ने गुरुवार को मुंबई और दिल्ली में ताबड़तोड़ छापेमारी कर दो सरकारी कर्मियों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया.

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कॉर्पोरेट जासूसी मामले की जांच कर रही सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो ने गुरुवार को मुंबई और दिल्ली में ताबड़तोड़ छापेमारी कर दो सरकारी कर्मियों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया. डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्शन ऑफिसर लालाराम शर्मा और डिपार्टमेंट ऑफ डिसइंवेस्टमेंट के अंडर सेक्रेटरी अशोक कुमार सिंह के अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट खेमचंद गांधी को गिरफ्तार किया गया है. इनके घर और दफ्तर में छापेमारी के बाद सीबीआई ने 60 लाख रुपये भी बरामद किए.

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अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्स्प्रेस' में छपी खबर के अनुसार मुंबई में सीबीआई के हाथ एक कूरियर लगा था जिसमें कुछ गोपनीय जानकारी मौजूद थी. यह कूरियर अशोक सिंह ने खेमचंद गांधी को भेजा था.

दिल्ली के छह और मुंबई के दो जगहों पर छापेमारी की गई. सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, 'कुछ सरकारी कर्मियों ने मुंबई में रहने वाले एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को तथाकथित तौर पर दस्तावेज बेचे थे.'

आठ बड़ी कंपनियां निशाने पर
सीबीआई के सूत्रों ने बताया है कि मामले में आठ कॉर्पोरेट कंपनियों पर नजर रखी जा रही है. इनमें डीएलएफ लिमिटलेस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, मोद्रिल इंडिया, प्राइम लिविंग, नोवालीड फार्मा, इंडसइंड बैंक और काकार्डी ब्रिटिश रियल्टी का नाम शुमार है.

केंद्रीय मंत्रालय से दस्तावेज लीक का खुलासा 19 फरवरी को हुआ था जब दिल्ली पुलिस ने पेट्रोलियम मंत्रालय के दो जूनियर अफसर और तीन दलालों को गिरफ्तार किया था. इनपर ऊर्जा कंपनियों को मंत्रालय के दस्तावेज बेचने का आरोप है. इसके ठीक एक दिन बाद आरआईएल, एडीएजी, एस्सार, केयर्न्स इंडिया और जुबिलेंट एनर्जी के पांच एक्सेक्युटिव और दो कंसल्टेंट को गिरफ्तार किया गया. ये सभी पांच अधिकारी 19 मार्च तक न्यायिक हिरासत में हैं.

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अभी तक इस मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज किया है और 16 लोगों को गिरफ्तार किया है.

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