CBI की स्वायत्ता पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है. हलफनामे में कहा गया है कि सीबीआई निदेशक का चुनाव 3 सदस्यीय कमेटी करेगी. इस कमेटी के सदस्य पीएम, मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष होंगे.
इस हलफनामे को पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी. इसके जरिए सीबीआई निदेशक को वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई हैं जो अन्य अर्धसैनिक बलों के महानिदेशकों के समान है.
सरकार ने 14 मई को वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में एक मंत्रीसमूह का गठन किया था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के कामकाज की कटु आलोचना की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की दौरान सीबीआई को अपने राजनीतिक आकाओं के ‘पिंजरे में बंद तोता’ होने की बात कही थी और सीबीआई को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिए एक कानून बनाने की कोशिश करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष न्यायालय ने छह मई को एक सुनवाई के दौरान कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोता बन गया है. यह एक ऐसी घृणित कहानी है जिसमें कई मालिक हैं और एक तोता है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के हलफनामे के बाद यह बात कही थी.
दरअसल, सिन्हा ने स्वीकार किया था कि उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन जांच रिपोर्ट का मसौदा पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कोयला मंत्रालय के दो संयुक्त सचिवों के साथ साझा किया. मंत्री समूह की बैठक तीन बार हो चुकी है जिसने 24 जून को अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दिया और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जून को इसे मंजूरी दी.