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मछली व्यापार के नाम पर 445 करोड़ का बैंक घोटाला, CBI ने दर्ज किया मामला

इस घोटाले को आरोपियों ने नकली दस्तावेजों और गारंटी के लिए दी गई सम्पत्ति का अधिक मूल्य के नक़ली दस्तावेज़ तैयार कर मूल्य वाली संपार्श्विक 2009 से 2012 के बीच 220 ऋण खातों के माध्यम से अंजाम दिया.

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मछली व्यापार के नाम पर हुआ घोटाला
मछली व्यापार के नाम पर हुआ घोटाला

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आंध्र प्रदेश में खेती और मछली व्यापार के नाम पर किया गया 445 करोड़ रुपये का नया बैंक घोटाला सामने आया है. इस 445 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में सीबीआई ने आईडीबीआई बैंक के महाप्रबंधक बट्टू राम राव, 21 एग्रीगेटर समूह और बैंक पैनल के मूल्यांकन करने वाले कुछ शख़्स समेत 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. इस मामले के सामने आते ही बैंक ने राम राव को सेवा से हटा दिया गया है.

बैंक की तरफ़ से यह आरोप लगाया गया है कि 22 एग्रीगेटर्स (21 एग्रीगेटर समूहों से) के लगभग 220 उधारकर्ताओं ने अपने बशीरबाग (हैदराबाद) और सिरिपरम (विशाखापट्टनम) की शाखाओं में आईडीबीआई बैंक के अधिकारियों के साथ षडयंत्र किया और साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड और मत्स्यपालन ऋण का लाभ उठाने वाले बैंक पैनल वैल्यूर्स के साथ मिलकर 400 करोड़ रुपये से ज़्यादा का चूना लगाया.

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इस घोटाले को आरोपियों ने नकली दस्तावेजों और गारंटी के लिए दी गई सम्पत्ति का अधिक मूल्य के नक़ली दस्तावेज़ तैयार कर मूल्य वाली संपार्श्विक 2009 से 2012 के बीच 220 ऋण खातों के माध्यम से अंजाम दिया. बैंक से केसीसी, मत्स्य पालन ऋण और अन्य क्रेडिट सुविधाएं इन नकली दस्तावेज़ के आधार पर ली गई थी.

सीबीआई की एफ़आईआर के मुताबिक़, "यह आरोप लगाया गया है कि चंद्रशेखर हरीश चेन्नापगारी ने 2010-2012 की अवधि के दौरान आईडीबीआई बैंक, गुंटूर शाखा बिज़नेस ग्रुप के सहायक महाप्रबंधक के रूप में काम करते हुए, अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करते हुए, 142 उधारकर्ताओं के विभिन्न समूहों को 33.81 करोड़ रुपये का लोन पास किया.”

शिकायत के अनुसार, इस कथित धोखाधड़ी को करने के लिए, आंध्र प्रदेश के गुंटूर और प्रकाशम जिले के विभिन्न गांवों में स्थित तालाबों / स्वामित्व वाले तालाबों में कथित मत्स्य पालन गतिविधियों के लिए आरोपी द्वारा नक़ली दस्तावेजों के आधार पर इस फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम दिया गया.

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