रेप को एंजॉय करने की बात कहने वाले सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने अपने बयान पर खेद जताया है. उन्होंने कहा कि असावधानीवश उन्होंने ऐसा कह दिया, उनका मकसद किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था.
गौरतलब है कि मंगलवार को सीबीआई के एक कार्यक्रम में रंजीत सिन्हा ने खेल में सट्टेबाजी को वैध बनाए जाने की वकालत की थी और इस पक्ष में दलील देते हुए सट्टेबाजी की तुलना रेप से कर डाली थी. उन्होंने कहा था, 'सट्टेबाजी को वैध घोषित करने में कोई नुकसान नहीं है. अगर आप सट्टेबाजी पर बैन लागू नहीं कर पाते तो उसे मान्यता दे दो. यह कुछ ऐसा ही है कि आप रेप नहीं रोक सकते तो उसे इंजॉय करने लगो.'
बयान पर महिला संगठनों और बीजेपी की कड़ी आपत्ति के बाद आखिरकार सीबीआई प्रमुख को झुकना पड़ा. उन्होंने कहा, 'महिलाओं के लिए मेरे मन में जो सम्मान है, उसे मैं दोहराना चाहता हूं. मेरे बयान से जाने-अनजाने किसी की भावनाओं को ठेस लगी है तो मुझे खेद है.'
'बैन लागू करवा पाना मुश्किल है'
सीबीआई डायरेक्टर ने कहा था, 'अगर हम कुछ प्रदेशों में लॉटरी करवा सकते हैं, कुछ जगहों पर कैसीनो की इजाजत दे सकते हैं, जब सरकार काले धन को स्वेच्छा से उजागर करने की योजनाएं ला सकती है तो सट्टेबाजी को मान्यता देने में क्या नुकसान है? बैन लगाने की बात कहना, उसे लागू कराने से कहीं ज्यादा आसान है.'
सिन्हा पर हुआ था चौतरफा हमला
विवादास्पद बयान के बाद रंजीत सिन्हा पर चौतरफा हमलों का सिलसिला शुरू हो गया था. बीजेपी समते कई महिला संगठनों ने उनके बयान पर घोर आपत्ति जताई थी. पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने तो सिन्हा से इस्तीफा भी मांग लिया था.
पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी उनके बयान को किसी भी हालत में मंजूर किए जाने लायक नहीं बताया था. उन्होंने हैरानी जताई कि इतने बड़े पद पर बैठा शख्स ऐसा बयान कैसे दे सकता है. बीजेपी की ओर से स्मृति ईरानी ने भी रंजीत सिन्हा के इस बयान की कड़ी आलोचना की थी.
CBI ने दी थी सरकारी-सी सफाई
हालांकि बाद में सीबीआई की ओर से इस बयान पर सफाई भी दी गई थी, लेकिन उससे भी विवाद शांत नहीं हुआ. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा था कि सिन्हा का बयान एक खास संदर्भ में था. जांच एजेंसी की ओर से दी गई सफाई में कहा गया, 'आरएम सवानी और क्रिकेटर राहुल द्रविड़ और सीबीआई निदेशक से इस पर राय ली गई. सीबीआई निदेशक के कहने का इतना ही मतलब था कि अगर कानून लागू नहीं किया जा सकता तो इसका मतलब यह नहीं है कि कानून होना ही नहीं चाहिए.'