दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के मामले में सीबीआई ने कई अहम दावे किए हैं. राजेंद्र कुमार को रिमांड पर लेने से पहले जो आवेदन सीबीआई ने कोर्ट के सामने पेश की उसकी एक्सक्लूसिव कॉपी 'टीवी टुडे नेटवर्क' के पास मौजूद है. सीबीआई ने रिमांड मांगने के लिए कई अहम सबूतों की बात अदालत के सामने कही और उस आधार पर दस दिनों की रिमांड मांगी, लेकिन अदालत ने महज पांच दिनों की ही रिमांड मंजूर की.
जिन अहम सबूतों की बात देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने की है, उनमें अहम हैं कि राजेंद्र कुमार जब दिल्ली सरकार में अलग-अलग पदों पर काम कर रहे थे, तो उन्होंने सरकारी पदों का दुरुपयोग करके 2007 के बाद से एक कंपनी एंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 9.5 करोड़ रुपये के टेंडर के काम में मदद की है.
राजेंद्र कुमार के रहते ESPL को फायदा
जांच एजेंसी ने ये भी आरोप लगाया है कि तय प्रक्रिया में साजिशन फेर बदल किया गया है, ताकि ईएसपीएल कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके. दावा ये भी किया गया है कि पूरी प्रक्रिया में सीएम के पूर्व प्रधान सचिव ने सक्रिय भूमिका निभाई. सीबीआई ने इस मामले में राजेंद्र कुमार, तरुण शर्मा, अशोक कुमार, दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार को गिरफ्तार कर लिया, और ये भी दावा किया कि वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. अब तक की जांच में सीबीआई ने ये भी दावा किया है कि जिन भी विभागों में राजेंद्र कुमार रहे वहां से ईएसपीएल कंपनी को फायदा पहुंचाया गया.
जांच एजेंसी का दावा ये भी है कि कमीशन और रिश्वत के तहत लगभग 3.3 करोड़ की राशि ईएसपीएल के खातों में जमा की गई, जिसे बाद में रियल एस्टेट, शिक्षा, प्रकाशन आदि के क्षेत्र में लगा दिया गया. दावा ये भी किया गया है कि इन सब के लिए राजेंद्र कुमार ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग भी किया.
सीबीआई ने किए बड़े-बड़े दावे
सीबीआई के दावों को मानें तो उन्हें कुछ ऑडियो क्लिप भी मिली हैं, जिसमें आरोपी आपस में बात कर रहे हैं, जिसे जांच के लिए सीएफएसएल लैब भेजा गया गया है. ये भी दावा किया गया है कि कुछ ऐसे ई मेल भी मिले हैं, जिससे ईएसपीएल को गलत तरह से फायदा पहुंचाने की जानकारी मिलती है. यानि सीबीआई ने दावे तो बड़े किए हैं लेकिन चुनौती ये है कि अगर इन दोवों को अदालत में साबित नहीं किया जा सका तो किरकिरी भी खूब होगी.