सीबीआई 1993 के मुंबई बम विस्फोट के आरोपी अबू सलेम के मामले में कानूनी सलाह लेने के बाद उसके खिलाफ संगठित अपराध के आरोपों को वापस लेने की मांग उच्चतम न्यायालय से कर सकती है.
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी दिल्ली और मुंबई पुलिस द्वारा सलेम पर लगाये गये अतिरिक्त आरोपों को वापस लेने की मांग इस हफ्ते उच्चतम न्यायालय से कर सकती है ताकि वह पुर्तगाल को दिये अपने वादे को पूरा कर सके जहां से सलेम को भारत प्रत्यर्पित किया गया.
भारत ने पुर्तगाल को ‘शासकीय आश्वासन’ दिया था कि सलेम को मौत की सजा नहीं सुनाई जाएगी या उस पर ऐसी कोई धारा नहीं लगाई जाएगी जिसमें 25 साल से अधिक जेल की सजा का प्रावधान हो.
बहरहाल दिल्ली और मुंबई पुलिस ने सलेम के खिलाफ मौत की सजा वाले प्रावधान के तहत आरोप लगाये थे. बाद में पुलिस आरोप वापस करना चाहती थी लेकिन अदालतों ने इसे मंजूर नहीं किया.
जिसके चलते लंबी कानूनी लड़ाई चली जिस पर अंत में सितंबर 2010 में उच्चतम न्यायालय ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया. पुर्तगाल की एक अदालत ने इस बीच सलेम के प्रत्यर्पण को यह आधार बताते हुए खारिज कर दिया कि भारतीय अधिकारियों ने नये आरोप लगाकर उसके प्रत्यर्पण की नियम शर्तों का उल्लंघन किया है, जिसे उनके सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा.
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि मामले में कानूनी राय लेने के बाद सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची है कि दिल्ली और मुंबई पुलिस द्वारा महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम और अन्य ऐसे कानूनों के तहत लगाये गये अतिरिक्त आरोपों को वापस लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सीबीआई इस हफ्ते इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय से दिशानिर्देशों की मांग करेगी. सलेम को 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. उसे वहां अपनी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ 2002 में गिरफ्तार किया गया था.