हिंडाल्को मामले में सीबीआई बैकफुट पर है. आज तक को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई को कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ कुछ ठोस सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन सीबीआई फिलहाल केस को बंद नहीं करेगी, क्योंकि मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है.
22 अक्टूबर को सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करना है. सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी अदालत को भरोसे में लेने की कोशिश करेगी.
कोयला घोटाले की जांच को लेकर सीबीआई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात कहेगी. लेकिन इस एफआईआर पर जो सवाल उठ रहे हैं, वो बेहद गंभीर हैं. सियासत से लेकर उद्योग जगत तक इस मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है.
जिस कोयला घोटाले पर बवाल मचा था, अब उसकी जांच पर ही सवालिया निशान लगने लगे हैं. सवाल इसलिए उठने लगे हैं, क्योंकि खुद प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सफाई दी गई है कि हिंडाल्को को जो भी कोल ब्लॉक आवंटित किया गया, वो सही था.
कोयला घोटाले पर नई एफआईआर को लेकर इतना बवाल मचा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने बाकायदा सफाई दी, 'हमारी सरकार ने ये साफ तौर पर कहा है कि कोल ब्लॉक का आवंटन राज्य सरकारों की सलाह पर पीएसयू ने किया है. हम कुछ भी नहीं छिपा रहे हैं. हमारे साथियों को लगता है कि जिस तरह से यह मामला आया है, वो देश के लिए अच्छा नहीं.'
वैसे प्रधानमंत्री को भी यह सफाई ऐसे ही नहीं देनी पड़ी थी. केस में आवाज तब निकली, जब अपना गला फंसने लगा. तत्कालीन कोयला सचिव ने तो यहां तक कह डाला कि अगर मैं दोषी हुआ, तो पीएम भी दोषी हैं. इस मुद्दे को लेकर कुमार मंगलम बिड़ला खुद वित्तमंत्री चिदंबरम से मिले. जांच और एफआईआर पर बात भी हुई.
सीबीआई की एफआईआर में जैसे ही हिंडाल्को का नाम आया, कंपनी ने फौरन प्रेस रिलीज जारी कर पूरे आवंटन पर एक-एक सिरे को खोलकर बता दिया. कंपनी ने साफ किया कि उसे जो भी कोयला खदान आवंटित हुआ, वो नियम के मुताबिक थे.