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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उठाए सवाल तो CBI प्रमुख ने दिए ये जवाब

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने केंदीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे. इसका जवाब सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने दिया है. सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि पेचीदा मामलों में जब भी निष्पक्ष जांच की मांग होती है, तब लोग सीबीआई जांच की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि एजेंसी को सरकार, न्यायपालिका और लोगों का विश्वास हासिल है.

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सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला (फाइल फोटो-IANS)
सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला (फाइल फोटो-IANS)

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने केंदीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे. इसका जवाब सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने दिया है. सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि पेचीदा मामलों में जब भी निष्पक्ष जांच की मांग होती है, तब लोग सीबीआई जांच की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि एजेंसी को सरकार, न्यायपालिका और लोगों का विश्वास हासिल है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के सवाल पर जांच एजेंसी के प्रमुख ने यह बात कही है.

डीपी कोहली के 18वें स्मृति व्याख्यान के लिए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का स्वागत करते हुए ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि सीबीआई ने हमेशा ही समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने की कोशिश की है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने सीबीआई की मदद करने और मार्ग दिखाने में अहम भूमिका निभाई है.

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सीबीआई को घेरा

असल में, डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में गोगोई ने सवाल किया कि ऐसा क्यों होता है कि जब किसी मामले का कोई राजनीतिक रंग नहीं होता, तब सीबीआई अच्छा काम करती है. जस्टिस गोगोई ने यह सलाह भी दी कि सीबीआई को कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) के समान वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि एजेंसी को सरकार के 'प्रशासनिक नियंत्रण' से पूरी तरह 'अलग' किया जा सके.

जस्टिस गोगोई ने सीबीआई की कमियों और ताकतों के बारे में साफ बात की और उसे आगे बढ़ने के बारे में सलाह भी दी. उन्होंने कहा, 'यह सच है कि कई हाई प्रोफाइल और संवेदनशील मामलों में एजेंसी न्यायिक जांच के मानकों को पूरा नहीं कर पाई है. यह बात भी उतनी ही सच है कि इस प्रकार की खामियां शायद कभी-कभार नहीं होती.'

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जस्टिस गोगोई ने कहा कि इस प्रकार के मामले प्रणालीगत समस्याओं को उजागर करते हैं और संस्थागत आकांक्षाओं, संगठन की संरचना, कामकाज की संस्कृति और शासन करने वाली राजनीति के बीच तालमेल की गहरी कमी की ओर संकेत करते हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसा क्यों है कि जब किसी मामले का कोई राजनीतिक रंग नहीं होता, तब सीबीआई अच्छा काम करती है. इसके उलट स्थिति के कारण विनीत नारायण बनाम भारत संघ मामला सामने आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी की सत्यनिष्ठा की रक्षा करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए.'

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राजनीतिक दबाव से दूर रखने के उपाय बताए

गोगोई ने यह सलाह भी दी कि सीबीआई की जांच प्रक्रिया को किसी राजनीतिक दबाव से दूर रखने के लिए इसे महालेखा परीक्षक (CAG) के समान वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे सीबीआई सरकार के 'प्रशासनिक नियंत्रण' से पूरी तरह 'अलग' हो सकेगी.

सीबीआई में स्टाफ की कमी

उनका मानना था कि हाल ही में लोकपाल का लागू होना एक अच्छी प्रगति है, लेकिन मौजूदा चुनौती यह तय करने की है कि सीबीआई को कैसे एक सक्षम और निष्पक्ष जांच एजेंसी बनाया जाए जो जनता की सेवा करने के उद्देश्यों से पूरी तरह प्रेरित हो, संवैधानिक अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखे और जटिल समय में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम हो. जस्टिस गोगोई ने सीबीआई में स्टाफ की कमी को भी एक प्रमुख चिंता बताया. उन्होंने कहा कि एग्जिक्युटिव रैंक में 15 पर्सेंट, लॉ ऑफिसर्स के 28.37 पर्सेंट और टेक्निकल ऑफिसर्स के 56.17 पर्सेंट पद खाली हैं.

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