शिलॉन्ग में रविवार को पारा काफी नीचे था, लेकिन यहां के केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के एंटी करप्शन ब्यूरो जोनल ऑफिस में तापमान काफी चढ़ा हुआ था. असल में शाम 6.40 के बाद यहां कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार और टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष को पूछताछ की टेबल पर लाया गया. तीन घंटे से ज्यादा समय तक तक चली आमने-सामने की इस पूछताछ में शारदा चिट फंड घोटाले के बारे में कई सवाल किए गए. सोमवार को भी सीबीआई पूछताछ करेगी.
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि राजीव कुमार के बयान का अन्य कई आरोपियों के बयानों से मिलान किया जाएगा. उन्होंने पहले दावा किया था कि सुदीप्ता सेन और देबजानी के पास से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जो पेनड्राइव और लैपटॉप जब्त किया, वह उन्हें कभी नहीं दिया गया, जबकि यह एसआईटी को सौंपा गया था.
सीबीआई ने यह भी दावा किया कि एसआईटी ने उसे यह नहीं बताया है कि रोज वैली ग्रुप के खिलाफ दुर्गापुर में पहले से ही एफआईआर दर्ज है, इसका मतलब यह है कि एसआईटी जानबूझकर सीबीआई को गुमराह करने की कोशिश कर रही थी?
कुणाल घोष और राजीव कुमार से पूछताछ तीन घंटे से ज्यादा तक चलती रही. सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने पहले दिन के छापे में जब्त की गई कुछ सामग्रियां कुणाल घोष को सौंप दी थी. एसआईटी ने लोगों को हिरासत में लेकर जो पूछताछ की, उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं कराई गई. एसआईटी ने घोष से पांच बार पूछताछ की, लेकिन उसने केवल एक बार वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई. दोनों लोगों से एक ही अधिकारियों ने पूछताछ की. टीएमसी से अब निकाल दिए गए कुणाल घोष ने पीएम को लेटर लिखकर इस घोटाले के बारे में जानकारी दी थी.
सीबीआई ने एसआईटी द्वारा जब्त सामग्री की गहराई से जांच की. इस बात का भी आरोप है कि शारदा कंपनी के डी-29 साल्ट लेक ऑफिस ऑफिस से जब्त हार्ड ड्राइव और सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को नहीं दिए गए. जब्त की गई सामग्री का मेमो भी सीबीआई को नहीं दिया गया. सूत्रों के मुताबिक शारदा के ऑफिस से 12 हार्ड ड्राइव जब्त किए गए थे.
इस बात की भी आशंका जताई गई है कि साल 2013-14 में बिधान नगर के आयुक्त रहे राजीव कुमार ने शायद सबूतों के साथ छेड़छाड़ की हो.