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टेलीफोन एक्सचेंज केस: CBI ने मारन से पूछताछ शुरू की

सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन से उनके चेन्नई स्थित आवास पर 300 से अधिक हाईस्पीड टेलीफोन लाइनें कथित तौर पर लगाए जाने के मामले में आज पूछताछ शुरू कर दी है.

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सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन से उनके चेन्नई स्थित आवास पर 300 से अधिक हाईस्पीड टेलीफोन लाइनें कथित तौर पर लगाए जाने के मामले में आज पूछताछ शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मारन को हिरासत में लेने की सीबीआई की मांग ठुकराते हुए पूर्व मंत्री को छह दिनों तक सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक सवालों के जवाब देने के लिए एजेंसी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था.

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मारन सुबह एजेंसी के मुख्यालय पहुंचे जहां उनसे पूछताछ की जा रही है. एजेंसी ने मारन तथा अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी. आरोप है कि मारन के आवास पर 300 से अधिक हाईस्पीड टेलीफोन लाइनें मुहैया कराई गईं और उनका विस्तार उनके भाई कलानिधि मारन के सन टीवी चैनल तक किया गया ताकि इसकी अपलिंकिंग हो सके. यह सब कुछ 2004 से 07 के दौरान किया गया जब मारन दूरसंचार मंत्री थे.

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अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि बीएसएनएल के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक ने दावा किया था कि तत्कालीन मंत्री के मौखिक आदेश पर टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किया गया था. मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 अगस्त को मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर उन्हें तीन दिन के अंदर सीबीआई के समक्ष समर्पण करने का आदेश दिया था।. उच्च न्यायालय ने कहा था कि गैर कानूनी तरीके से फोन कनेक्शन हासिल कर मारन ने प्रथम दृष्टया अपने पद का दुरूपयोग किया था और सामग्री से उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पुष्ट होते हैं.

षड्यंत्र सामने लाने के लिए मारन को हिरासत में लेना जरुरी
हाईकोर्ट के आदेश को मारन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां सीबीआई ने पूछताछ के लिए पूर्व मंत्री को हिरासत में लेने की मांग की. जांच एजेंसी ने कहा कि असली षड्यंत्र उजागर करने के लिए मारन को हिरासत में लेना जरूरी है क्योंकि टेलीफोन लाइनों का कथित तौर पर उपयोग उनके परिवार द्वारा संचालित सन टीवी ने किया.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा. 'हम उन्हें आपकी सीबीआई की हिरासत में नहीं देंगे गिरफ्तारी से बचाव का अंतरिम आदेश जारी रहेगा.'

इस बीच, हम याचिकाकर्ता को सीबीआई के समक्ष पेश होने का आदेश देते हैं. न्यायालय ने सीबीआई की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को एक प्रश्नावली तैयार करने और उसे सीबीआई के अधिकारियों तथा आरोपी को देने का आदेश दिया. साथ ही न्यायालय ने मारन के सहयोग न करने और सवालों के जवाब न देने की स्थिति में एजेंसी को उसके समक्ष आने की छूट भी दी.

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