सीबीआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कोयला खदान आवंटन में हुई गड़बड़ी की जांच के बारे में स्टेटस रिपोर्ट पेश कर दी है. जांच एजेंसी ने सीलबंद लिफाफे में जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश की.
न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की अध्यक्षता वाली बेंच इस रिपोर्ट का जांच करेगी. इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर यह खंडपीठ 15 जनवरी को आगे विचार करेगी.
सीबीआई सूत्रों के अनुसार इस स्टेटस रिपोर्ट में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया है कि करीब 60 कोयला खदानों के आवंटन में उसे कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. उम्मीद है कि कोर्ट की अनुमति के बाद इन खदानों के आवंटन को जांच के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी सारे रिकॉर्ड का विस्तार से सारे विश्लेषण करने के बाद ही इस नतीजे पर पहुंची है कि इन खदानों के आवंटन में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है. लेकिन इन खदानों को जांच के दायरे से हटाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही फैसला किया जाएगा.
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई 195 कोयला खदानों के आवंटन की जांच कर रही है. सीबीआई को इनमें से 16 मामलों में पहली नजर में ऐसे तथ्य मिले हैं जिनसे धोखाधड़ी, आपराधिक गतिविधि और भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं. इन्हीं तथ्यों के आधार पर सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की हैं. सू़त्रों ने बताया कि करीब 60 आवंटनों के विश्लेषण के दौरान सारे रिकॉर्ड सही मिले और तय मानदंडों तथा प्रक्रिया की अनदेखी किये जाने का सबूत नहीं मिला है.
सीबीआई ने अब तक एएमआर आयरन एंड स्टील, जेएलडी यवतमाल एनर्जी, विनी आयरन एंड स्टील उद्योग, जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्रा. लि., विकास मेटल्स, ग्रेस इंडस्ट्रीज, गगन स्पांज, जिन्दल स्टील एंड पावर, राठी स्टील एंड पावर लि., झारखंड इस्पात, ग्रीन इंफ्रास्ट्रकर, कमल स्पांज, पुष्प स्टील, हिंडालको, बीएलए इंडस्ट्रीज, कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस और कैस्ट्रान माइनिंग के खिलाफ कुल 16 एफआईआर दर्ज की हैं.
ये सभी मामले 2006 से 2009, 1993 तथा 2004 के दौरान आवंटित कोयला खदानों के आवंटन की तीन प्रारंभिक जांच के सिलसिले मे दर्ज की गयी हैं. इसके अलावा दो अन्य जांच हैं जो गुमशुदा फाइलों से संबंधित हैं.