सीबीआई में तबादलों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने सोमवार को 20 अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया. ट्रांसफर किए गए अधिकारियों में 2जी घोटाले की जांच करने वाले अधिकारी विवेक प्रियदर्शी भी शामिल हैं. प्रियदर्शी फिलहाल दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधी शाखा में तैनात थे अब उन्हें चंडीगढ़ भेज दिया गया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बहाल हुए पूर्व सीबीआई डायरेक्टर का तबादला डीजी फायर सेफ्टी के पद पर किया गया था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था कि उनकी नियुक्ति सीबीआई निदेशक के लिए की गई थी और उनका कार्यकाल 2 साल के लिए फिक्स था. डीजी फायर सेफ्टी के लिए जो उम्र होती है उसे वह पहले ही पार कर चुके हैं.
इसके बाद सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का ट्रांसफर एविएशन सिक्युरिटी एजेंसी में कर दिया गया. उनके साथ ही कई अधिकारियों के कार्यकाल में कटौती कर दी गई थी.
सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने सोमवार को 20 अफसरों का तबादला कर दिया. हालांकि तबादले के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि संवैधानिक अदालतों के आदेश पर किसी भी मामले की जांच और निगरानी करने वाले अधिकारी अपने पद पर बने रहें.
आदेश के अनुसार, तमिलनाडु में स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन गोलीबारी मामले की जांच कर रहे ए. सरवनन को मुंबई की बैंकिंग, प्रतिभूति और फर्जीवाड़ा जांच शाखा में भेजा गया है. यह शाखा हीरा व्यापारियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी सहित ऋण फर्जीवाड़ा करने वालों की जांच कर रही है. स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 लोग मारे गए थे. आदेश में यह भी कहा गया है कि सरवनन स्टरलाइट-विरोधी प्रदर्शन गोलीबारी मामले की जांच जारी रखेंगे.
आदेश में यह भी कहा गया है कि सीबीआई की विशेष इकाई में तैनात प्रेम गौतम को पदमुक्त किया जा रहा है. अभी तक उनका काम सतर्कता के लिए अधिकारियों पर नजर रखना था. वह आर्थिक मामलों की जांच जारी रखेंगे. उन्हें उपनिदेशक (कार्मिक) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.
गौतम की जगह राम गोपाल को दी गई है. वह चंडीगढ़ विशेष अपराध शाखा से तबादले के बाद यहां आए हैं. इसी तरह कई अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है.
सीबीआई का मामला तब सुर्खियों में आया था जब आधी रात को सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया था और नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया था. आलोक वर्मा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क देते हुए उन्हें बहाल कर दिया था कि उन्हें पीएम की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने नियुक्त किया था और उन्हें उसी तरह से हटाया जा सकता है. इसके बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समित की बैठक बुलाकर आलोक वर्मा को हटाने का फैसला कर लिया गया. चयन समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के जज एके सीकरी और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. खड़गे ने इस फैसले का विरोध किया था.