सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित हो गई है. बुधवार को सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि वह एक-एक करके मामले को देख रहे हैं. याचिकाकर्ता द्वारा जमा किया गया आदेश डीएसपीई अधिनियम की धारा 4 (2) के तहत है, जो कहता है कि सीबीआई में हालिया में हुए कार्य केंद्र सरकार की करीबी निगरानी में है.
वेणुगोपाल ने आगे कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने हमारे पास मीडिया रिपोर्ट्स का पुलिंदा भेजा है. हमने आलोक वर्मा को सिर्फ छुट्टी पर भेजा है. गाड़ी, बंगला, भत्ते, वेतन और यहां तक कि पदनाम भी पहले की तरह हैं. आज की तारीख में वही सीबीआई निदेशक हैं.
उन्होंने कहा कि वह एक-एक करके मामले को देख रहे हैं. याचिकाकर्ता द्वारा जमा किया गया आदेश डीएसपीई अधिनियम की धारा 4 (2) के तहत है. जो कहता है कि सीबीआई में हालिया में हुए कार्य केंद्र सरकार की करीबी निगरानी में है.
एजी ने कहा कि नियम के मुताबिक किसी भी अफसर का ट्रांसफर कहीं भी हो सकता है. अधिकारी को एक मुख्यालय से दूसरे मुख्यालय या शाखा में भेजा जा सकता है. अगर प्रमोशन बनता है तो ट्रांसफर प्रमोशन के साथ या फिर बिना प्रमोशन के भी तबादला मुमकिन है, लेकिन ट्रांसफर से पहले कमेटी का सुझाव ज़रूरी नहीं है. सुझाव सिर्फ नियुक्ति के लिए जरूरी है. एजी ने कहा कि सीबीआई के अफसरों के बीच चल रहे विवाद और झगड़े की ये सब जानकारी अखबारों और मीडिया को है. सब कुछ पब्लिक डोमेन में है.
केके वेणुगोपाल ने कहा कि अफसरों की आपसी लड़ाई में भ्रष्टाचार के आरोपों को हथियार बनाया गया. दो शीर्षस्थ अफसर लड़ रहे थे और सारा विवाद तूल पकड़ गया.
इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने साफ कर दिया था कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का अधिकार तो उसके पास ही है. सरकार ने कहा कि चयन समिति योग्य उम्मीदवारों का चयन ज़रूर करती है, लेकिन उनकी नियुक्ति तो सरकार ही करती है. कोर्ट ने मामले की सुनावई 5 दिसंबर तक के लिए टाल दी थी.