सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने किसी राजनीतिक नेता के फोन टैपिंग का अधिकार किसी को नहीं दिया और इस बारे में एक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच में, उनकी कोई पुष्टि नहीं हुई.
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने लोकसभा में प्रश्नकाल के बाद दिए एक बयान में कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से यह कहना चाहता हूं कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा किसी भी राजनीतिक नेता के टेलिफोन को न तो टैप किया गया और न ही उनकी बातचीत सुनी गयी. वर्तमान संप्रग सरकार ने भी ऐसी किसी गतिविधि को अधिकृत नहीं किया.’
उन्होंने कहा, ‘23 अप्रैल 2010 को पत्रिका के उपलब्ध अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की व्यापक जांच की गयी. राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) के रिकार्ड में, या कहीं और से इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है.’ चिदम्बरम के बयान के दौरान सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और राजद के सदस्यों सहित संपूर्ण विपक्ष कथित फोन टैपिंग के खिलाफ नारेबाजी करता रहा और इस बारे में गृह मंत्री की जगह प्रधानमंत्री से बयान की मांग करता रहा. {mospagebreak}
आउटलुक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राकांपा नेता शरद पवार, माकपा नेता प्रकाश करात तथा कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह सहित कुछ नेताओं के फोन टैप किए जाने के आरोप लगाए गए हैं. चिदम्बरम ने कहा कि सरकार ने पत्रिका के इस तीन मई के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में एनटीआरओ के खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखा है. उन्होंने कहा, ‘पत्रिका में लगाए गए आरोपों की और जांच की जा रही है. अगर कोई सबूत सामने आया तो मामले की उचित एजेंसियों द्वारा व्यापक जांच करायी जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘हमारी खुफिया एजेंसियां कानून के भीतर काम करती हैं. वह पूरी तरह सरकार के प्रति जवाबदेह हैं. टेलीग्राफ अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत टेलीफोन या इलैक्ट्रोनिक संचार पर निगरानी रखे जाने वाले हर मामले में केन्द्रीय गृह सचिव से व्यक्तिगत रूप से मंजूरी लेनी होती है और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति इसकी समीक्षा करती है. अपराध से लड़ने, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए या आतंकवाद विरोधी हमारे प्रयासों के लिए इस तरह की निगरानी यदि आवश्यक होती है तो उस पर भी कई स्तर पर नियंत्रण और निगरानी रखी जाती है.’ {mospagebreak}
गृह मंत्री ने कहा, ‘संप्रग की पूर्ववर्ती और वर्तमान, दोनों सरकारों ने इस बारे में देश के कानूनों का सम्मान किया है. हम प्रत्येक भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा करने, जिसमें उनकी निजता का अधिकार भी शामिल है, के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारतीय संविधान में नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का हम सम्मान करेंगे.’
इस बीच, विपक्षी सदस्य गृह मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री से इस बारे में बयान देने की मांग पर अड़े रहे और कई पार्टियों के सदस्य आसन के समक्ष आकर इस बारे में नारेबाजी भी करते रहे. सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की इस बारे में मांग का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री से संपर्क किया है और वह इस संबंध में सदन में दोपहर बाद साढ़े तीन बजे बयान देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चूंकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के साथ अभी बातचीत में व्यस्त हैं और उनके साथ दोपहर को होने वाले भोज के बाद वह इस बारे में सदन में आकर बयान देने को राजी हैं.
मुखर्जी ने कहा कि विपक्षी सदस्य अगर इस पर सहमत हैं तो ठीक है अन्यथा गृह मंत्री इस संबंध में बयान देने को तैयार हैं. राजद और सपा सहित विपक्षी सदस्य इस पर सहमत नहीं हुए और हंगामा थमते न न देख अध्यक्ष मीरा कुमार ने चिदम्बरम के बयान के कुछ मिनट बाद सदन की बैठक दो बजे तक स्थगित कर दी. इससे पहले सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर यह मामला उठा था तथा वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए प्रधानमंत्री से बयान की मांग की थी. हंगामे के कारण करीब 15 मिनट बाद ही बैठक दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी थी.