जनहित याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने आ गए हैं. बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा कि जनहित याचिकाओं पर वह तीखी टिप्पणियां करने से बचे, क्योंकि इनका देश में फैले कई मुद्दों पर असर होता है. हालांकि शीर्ष अदालत ने पलटवार करते हुए कहा कि जज भी नागरिक हैं और देश के सामने खड़ी समस्याओं को जानते हैं. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह हर बात के लिए सरकार की आलोचना नहीं कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश के कानून का पालन करने के लिए भी कहा है. शीर्ष अदालत और अटॉर्नी जनरल के बीच यह बयानबाजी उस समय देखने को मिली, जब पीठ देश की 1382 जेलों में व्याप्त अमानवीय स्थिति से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि वह शीर्ष अदालत की आलोचना नहीं कर रहे हैं, लेकिन देश में बहुत समस्याएं हैं और अतीत में उसके आदेशों व फैसलों ने ऐसी स्थिति पैदा की, जिससे लोगों को अपनी नौकरियां तक गंवानी पड़ी.
उन्होंने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामलों और देश के राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर पाबंदी वाले आदेश से संबंधित जनहित याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के फैसलों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इनका विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ा और इसके बाद लोगों की नौकरियां चली गईं. अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि देश में कई समस्याएं हैं और अदालत को सरकार द्वारा की गई प्रगति पर भी गौर करना चाहिए.
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे. न्यायमूर्ति लोकुर ने जवाब दिया, 'हम इनमें से कुछ समस्याओं को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं.' इसके बाद उन्होंने विधवाओं, बच्चों और कैदियों के अधिकारों से संबंधित मामलों का जिक्र किया, जिन पर शीर्ष अदालत विचार कर रहा है. न्यायाधीश ने वेणुगोपाल से कहा, 'हम भी इस देश के नागरिक हैं और देश के सामने मौजूद समस्याओं को जानते हैं.'
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हो सकता है कि किसी मामले को निपटाते वक्त अदालत ने उसके असर पर गौर नहीं किया हो, जो कुछ अन्य पहलुओं पर हो सकता हो. न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, 'हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने हर चीज के लिए सरकार की आलोचना न तो की है और न ही कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'यह माहौल मत बनाइए कि हम सरकार की आलोचना कर रहे हैं और उसे उसका काम करने से रोक रहे हैं. आप अदालत के सकारात्मक निर्देशों की ओर भी देखिए.'