ओला और उबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स की ओर से डिमांड के हिसाब से अधिक किराया वसूलने वाली 'सर्ज प्राइसिंग' की सरकार समीक्षा करेगी. सूत्रों के मुताबिक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है.
क्या है पूरा मामला
टैक्सी एग्रीगेटर्स की ओर से पीक ऑवर्स में सर्ज प्राइसिंग के नाम पर मनमाना किराया वसूले जाने पर पिछले महीने आरएसएस से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने आपत्ति दर्ज कराई थी. तब स्वदेशी जागरण मंच ने उम्मीद जताई थी कि लोगों के हित में जल्दी ही फैसला लिया जाएगा.
स्वदेशी जागरण मंच ने उठाए सवाल
स्वदेशी जागरण मंच की ओर से इस सबंध में उठाए सवालों का सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संज्ञान लिया. मंत्रालय की ओर से अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है.
स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने बीते महीने गडकरी को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दखल देने के लिए आग्रह किया था. महाजन ने मांग की थी कि ऐप आधारित टैक्सी एग्रीगेटर्स की सर्ज प्राइसिंग को अधिकतम 25% की सीमा में बांधा जाना चाहिए.
महाजन का कहना था कि नियम लोगों के हित ध्यान में रखकर बनाए जाने चाहिए. उन्होंने ये भी कहा था कि अगर ड्राइवर की ओर से राइड कैंसिल की जाती है तो टैक्सी कंपनियों को दंडित किया जाना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो 100 रुपए या किराए का 20% ग्राहक के खाते में डाले जाने चाहिए.
सर्ज प्राइसिंग को न दें इजाजत
महाजन ने इंडिया टुडे से बात करते हुए उम्मीद जताई कि मंत्रालय के अधिकारी उनके सुझाव पर खुले दिमाग से विचार करेंगे. महाजन ने एडवांस शेड्यूल्ड बुकिंग पर सर्ज प्राइसिंग की इजाजत नहीं देने की भी मांग की थी. इसके अलावा उन्होंने बेसिक कस्टमर सर्विस और ऐप फीचर्स का एमरजेंसी की स्थिति में मानकीकरण करने पर भी जोर दिया.
स्वदेशी जागरण मंच ने अपनी चिट्ठी में शिकायत में कहा कि ओला और उबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स ने कम कीमत पर सुविधाजनक टैक्सी सेवाएं देने के नाम पर 2014-15 में भारत में अपने ऑपरेशन्स की शुरुआत की थी. लेकिन अब उन्होंने सर्ज प्राइसिंग के नाम पर मुनाफे का खेल शुरू कर दिया है.