कश्मीर मुद्दे के समाधान और राज्य में शांति बहाली के लिए केन्द्र हुर्रियत कांफ्रेंस सहित जम्मू-कश्मीर के सभी दलों और समूहों को बातचीत के लिए आमंत्रित करेगा.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि हर छोटे-बड़े समूह, मुख्य धारा वाले समूह तथा अलगाववादी समूहों को व्यक्तिगत तौर पर आमंत्रित किया जाएगा. हुर्रियत के दोनों गुट भी आमंत्रित होंगे. राज्य सरकार ने इस दिशा में कुछ पहल की है और केन्द्र उसी प्रक्रिया को आगे बढाने का प्रयास कर रहा है.
सूत्रों ने बताया कि हर समूह और दल को केन्द्रीय नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकों के लिए आमंत्रण भेजा जाएगा. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला केन्द्रीय नेतृत्व से लगातार मांग कर रहे थे कि कश्मीर में हर तरह के विचारधारा वाले समूहों के साथ राजनीतिक वार्ता शुरू की जाए. उमर ने हाल ही में श्रीनगर में कहा था कि केन्द्र को हर उस किसी से बात करनी चाहिए, जो बातचीत का इच्छुक है और उनसे भी बात करने की कोशिश करनी चाहिए, जो बातचीत करने के इच्छुक नहीं हैं.
दस साल पहले हिजबुल मुजाहिदीन के साथ हुई केन्द्र की वार्ता का उदाहरण देते हुए उमर ने कहा है, ‘मेरा मानना है कि 2000 में हुई वार्ता का उदाहरण लिया जा सकता है, जब संघषर्विराम के परिणामस्वरूप हिजबुल मुजाहिदीन के साथ बातचीत शुरू की गयी थी.’ उमर ने कहा है कि केन्द्र सरकार को वर्ष 2000 में किये गये प्रयास की तर्ज पर कुछ पहल करनी चाहिए.
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले साल मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में हुर्रियत नेताओं के साथ गुपचुप कूटनीतिक प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन नरमपंथी नेता फजल उल हक कुरेशी की आतंकवादियों द्वारा हत्या किये जाने के बाद यह बाधित हो गयी.
केन्द्र सरकार ने इस साल के अंत में स्थानीय निकाय चुनाव कराने के राज्य के मुख्यमंत्री के कदम का समर्थन किया है. केन्द्रीय नेतृत्व और पिछले सप्ताह कश्मीर में सर्वदलीय बैठक के दौरान उमर ने इस साल अक्तूबर-नवंबर में पंचायत और नगर निगम चुनाव कराने का पक्ष लिया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार स्थानीय निकाय चुनाव अक्तूबर और नवंबर में कराने की सोच रही है ताकि शासन के फायदे जमीनी स्तर तक पहुंच सकें.