सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को अवैध करार दिए जाने के बाद अब केंद्र सरकार अगले शीतकालीन सत्र में तीन तलाक को लेकर मसौदा संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से कहा था कि वो तीन तलाक को लेकर कानून बनाए. ऐसे में सरकार शीतकालीन सत्र में तीन तलाक को अवैध करार देने के लिए बिल सदन में ला सकती है. सरकार के खेमे से इस खबर के आने के बाद राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद और शिया वक्फ बोर्ड ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है.
अखिल भारतीय राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए आज तक से बातचीत में कहा है कि, 'तीन तलाक महिलाओं के खिलाफ है और ऐसे बुरे रिवाजों से महिलाओं को उनका हक नहीं मिलता इसलिए सरकार द्वारा कानून बनाने की पहल का स्वागत करते हैं.'
वहीं शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि तीन तलाक महिलाओं के खिलाफ है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पहले ही तीन तलाक के मामले में अपना फैसला लेना चाहिए था क्योंकि ज्यादातर इस्लामिक देश तीन तलाक को खारिज कर चुके हैं. वसीम रिजवी का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी नहीं उठाई और महिलाओं को इस पूरे नियम का शिकार होना पड़ा है.
आगे उन्होंने कहा कि, अच्छी बात है कि सरकार इसके खिलाफ कानून ला रही है. वसीम रिजवी ने कहा कि तीन तलाक पर कानून का समर्थन करते हैं. महिला की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. शिया समाज में तीन तलाक का विरोध है. तीन तलाक एक कलंक है. ये जिम्मेदारी थी पर्सनल लॉ बोर्ड की सही वक्त पर फैसला लेना चाहिए था. अगर कानून बन रहा है तो तीन तलाक खत्म होना चाहिए.