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जम्मू-कश्मीर में तबाही के बाद सवालों के घेरे में सेंट्रल वाटर कमीशन

जम्मू-कश्मीर में आई तबाही के बाद सेंट्रल वाटर कमीशन सवालों के घेरे में है. कश्मीर में मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के दावे पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुहर तो लगा दी है लेकिन सेंट्रल वाटर कमीशन ने पल्ला झाड़ लिया है.

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जम्मू के पास तवी नदी पर क्षतिग्रस्त पुल
जम्मू के पास तवी नदी पर क्षतिग्रस्त पुल

जम्मू-कश्मीर में आई तबाही के बाद सेंट्रल वाटर कमीशन सवालों के घेरे में है. कश्मीर में मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के दावे पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुहर तो लगा दी है लेकिन सेंट्रल वाटर कमीशन ने पल्ला झाड़ लिया है.

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जम्मू कश्मीर में बाढ़ से हुई तबाही से निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने भले ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी हो लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि इस खतरे की सूचना पहले क्यों नहीं मिली. दरअसल सेंट्रल वाटर कमीशन की ये जिम्मेवारी होती है कि वो बाढ़ से जुड़ी सूचना समय पर दे लेकिन जम्मू कश्मीर को कोई सूचना नहीं मिल पाई.

बीते 6 सितंबर को जारी हुए बाढ़ के पूर्वानुमान में इसकी सूचना दी गई थी कि देश भर के 18 स्थानों पर नदी का जलस्तर क्या है और 8 स्थानों पर पानी बढ़ रहा है या घट रहा है. लेकिन इसमें कश्मीर का जिक्र तक नहीं था. हालांकि मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी दी थी. मौसम विभाग के महानिदेशक एलएस राठौर का कहना है, 'हमने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी.'

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सेंट्रल वाटर कमीशन के चेयरमैन एबी पांड्या ने अपनी सफाई में कहा कि बाढ़ को लेकर भविष्यवाणी रातों-रात नहीं होती है और झेलम में बाढ़ की आशंका नहीं थी. वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'कभी-कभी ऐसा हो जाता है.'

लेकिन जानकारों की मानें तो सीडब्लूसी नदियों के जलस्तर पर नजर रखता है. साथ ही जिन जगहों पर बाढ़ की संभावना है या फिर जहां पर बाढ़ आ चुकी है, वहां के बारे में जानकारी अपनी वेबसाइट पर देता है. लेकिन सीडब्लूसी की मुश्किल ये है कि जम्मू कश्मीर में नदियों के जलस्तर के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनका नेटवर्क नहीं है.

इसके पीछें एक वजह ये मानी जाती है कि राज्य से निकलने वाली नदियों पर भारत पाकिस्तान के बीच समझौता है जिनमें सिंध, झेलम और चेनाब का पानी भारत रोक नहीं सकता है और इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है, इसलिए वेबसाइट मौन रही.

तेज बारिश की वजह से झेलम की सहायक नदी दूध गंगा जो श्रीनगर के पास झेलम में मिलती है, वो उग्र हो गई और बांध को तोड़ दिया. ये बात सही है कि ऐसी बारिश उसका पूर्वानुमान पहले से ही दिया जा चुका था. लेकिन संबंधित सरकारी विभागों ने गंभीरता से नहीं लिया जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है.

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