केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर समेत अन्य राज्यों को कहा है कि वह राज्यों में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को सीमित रखें. राज्य सरकारों से रोहिंग्या मुस्लिमों की निजी और बायोमेट्रिक जानकारी मांगी गई है. इसके अलावा उन्हें किसी तरह का पहचान पत्र, आधार कार्ड न जारी करने के निर्देश दिए गए हैं.
केंद्र की ओर से यह पूरी कवायद इसीलिए की जा रही है ताकि म्यांमार के साथ यह जानकारी साझा की जाए और अवैध शरणार्थी के तौर पर भारत में रह रहे रोहिंग्या को उनके मुल्क वापस भेजा जा सके.
अंग्रजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सरकार को डर है कि निर्धारित कैंपों के अलावा रोहिंग्या अन्य स्थानों पर न जम जाएं. साथ ही इनके कैंपों में माओवादियों की मौजूदगी का खतरा भी हो सकता है. इसी को देखते हुए सरकार ने इनका दायरा सीमित करने का फैसला किया है.
राज्य सरकारों को लिखे पत्र में कहा गया है कि रोहिंग्या और उनके साथ कैंपों में रहने वाले विदेशी फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर गैर कानून गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. साथ ही पैन कार्ड, वोटर कार्ड जैसे दस्तावेजों का दुरुपयोग भी किया जा सकता है. इसके अलावा रोहिंग्या मुस्लिमों के कट्टरपंथियों के चंगुल में आने से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने अखबार को बताया कि जम्मू कश्मीर के अलावा यह पत्र अन्य राज्य सरकारों को भी लिखा गया है. उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी के मुताबिक देशभर में करीब 40 हराज रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से बसे हुए हैं. इनमें से 7,096 सिर्फ जम्मू में ही हैं जबकि हैदराबाद में 3059, मेवात में 1200, जयपुर में 400 और दिल्ली के ओखला इलाके में इनकी तादाद 1061 के करीब है.
मंत्रालय के मुताबिक पश्चिम बंगाल और असम में ऐसा नेटवर्क काम कर रहा है जो रोहिंग्या को देश में दाखिल होते ही उन्हें पहचान से जुड़े फर्जी दस्तावेज मुहैया कराता है. यहां तक कि मुस्लिम संगठनों के कुछ ऐसे NGO भी हैं जो कैंपों में रहने वाले रोहिंग्या को सामान उपलब्ध कराते हैं. खुफिया सूत्रों जानकारी मिली है कि केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इनका दखल बढ़ रहा है साथ ही जम्मू, हैदराबाद और अंडमान में नए शरणार्थी दाखिल हो रहे हैं.