केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को जायज ठहराया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य में राष्ट्रपति शासन को लेकर अपना जवाब दाखिल किया. इसमें कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार अल्पमत में थी. इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन की जरूरत थी.
केंद्र ने 6 रिपोर्टों का दिया हवाला
केंद्र सरकार ने SC में जो जवाब दायर किया है उसमें राज्यपाल की छह रिपोर्टों का हवाला दिया गया है. केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि राज्यपाल की रिपोर्टों से साफ पता लगता है कि अरुणाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था बदतर हालात में थी. इतना ही नहीं 6 महीने से ज्यादा समय से विधानसभा का कोई सत्र नहीं बुलाया गया. नबाम तुकी के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ चुकी थी. इन सब वजहों से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी थी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में 316 पन्नों का जवाब दायर किया है.
केंद्र ने कहा अरुणाचल का स्थिर रहना जरूरी
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि अरुणाचल प्रदेश चीन की सीमा से सटा है. साथ ही वह खनिज संपन्न राज्य भी है. राज्य के कई हिस्सों पर चीन अपना अधिकार जताता आया है. चीन के साथ सीमा साझा करने की वजह से यह राष्ट्रहित में है कि राज्य में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता बनी रहे. केंद्र ने यह भी कहा कि राज्य में सांविधानिक ढांचा पूरी तरह चरमरा गया था.
विधायकों के बागी होने पर सरकार अल्पमत में
अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से उसके अपने कुछ विधायक बागी हो गए थे. बीते 16-17 दिसंबर को ही उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें सरकार हार गई थी. राज्य सरकार ने दिसंबर में विधानसभा बिल्डिंग सील करा दी थी. लेकिन बागी विधायकों ने एक होटल में ही सत्र बुला लिया था. इससे पहले स्पीकर ने कांग्रेस के बागी 14 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. लेकिन डिप्टी स्पीकर ने यह अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले उन सभी की सदस्यता बहाल कर दी थी.