केंद्र सरकार ने समलैंगिकता को अपराध ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह धारा 377 पर दिए अपने हालिया फैसले पर फिर से विचार करे.
इससे पहले तक यह साफ नहीं था कि केंद्र सरकार धारा 377 पर क्या रुख अख्तियार करने जा रही है. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार संसद में इससे संबंधित कानून बनाकर कोई रास्ता निकालेगी. अब मामला एक बार फिर से कोर्ट के पास है.
गौरतलब है कि समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को बहाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामले कोर्ट नहीं, बल्कि देश की संसद ही तय कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जीएस सिंघवी ने कहा था कि यह मसला देश के करोड़ों लोगों से जुड़ा है. अगर संसद में बैठे जनप्रतिनिधियों को लगता है कि धारा 377 गलत है, तो वे संविधान संशोधन करके इसमें बदलाव कर सकते हैं.
सिर्फ दिल्ली में ही हटी थी छूट
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला देकर धारा 377 पर रोक लगा दी थी, तब से दिल्ली में समलैंगिकता अपराध नहीं थी, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह धारा कायम थी.