दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा गृह विभाग में कार्यरत दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार आइलैंड्स सिविल सर्विस (DANICS) के दो अधिकारियों के निलंबन के खिलाफ गुरुवार को उनके साथी कर्मचारियों ने हड़ताल करने का फैसला किया था. लेकिन विवाद बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने उनका निलंबन रोक दिया है.
सत्येंद्र जैन ने कहा कि उन्हें किसी भी तरह की हड़ताल की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि निलंबन प्रशासन का मामला है और कैबिनेट इसमें कोई निर्णय नहीं ले सकता. उन्होंने कहा, 'अधिकारी मुझे ये नहीं कह सकते कि उपराज्यपाल ने हमें काम नहीं करने के लिए कहा है. राज्यपाल को लिखित आदेश देना चाहिए था.'
छुट्टी पर चलें जाएं
सत्येंद्र जैन ने कहा, 'कर्मचारी एक दिन की हड़ताल करने की बजाए छुट्टी पर क्यों नहीं चले जाते? तब हम बताएंगे कि अच्छी सरकार कैसे चलती है.'
क्या है मामला?
दिल्ली सरकार के गृह विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी यशपाल गर्ग और सुभाष चंद्रा नाम के दो DANICS अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था. एसोसिएशन ने दोनों के निलंबन का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी. DANICS का कहना है कि उसके अधिकारी के निलंबनका अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं है.
निलंबन के खिलाफ MHA को चिट्ठी
DANICS एसोसिएशन ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में एसोसिएशन ने निलंबन रद्द करने की मांग की. इसके बाद केंद्र सरकार ने निलंबन वापस ले लिया.
कहां से शुरू हुआ मामला?
सरकारी वकील और तिहाड़ जेल के कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का मामला है. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना कैबिनेट से पास करके उप-राज्यपाल के पास फाइल भेजी थी. LG ने नियमों का हवाला देकर बिना मंजूरी के इसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया. सतेन्द्र जैन ने इन अधिकारीयों से इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी करने को कहा लेकिन नियमों को आधार बनाकर इसमें आनाकानी करने पर जैन ने दोनों को निलंबित कर दिया.
क्या है नियम?
नियमों के मुताबिक, सिर्फ राष्ट्रपति को ही इन कर्मचारियों की सैलरी तय करने का अधिकार है. हालांकि उपराज्पाल की सहमति से इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है, लेकिन मंत्री ने बिना उपराज्यपाल की अनुमति के ही अधिकारियों पर नोटिफिकेशन में हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया. नियमों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया क्योंकि खुद उपराज्यपाल ने भी उन्हें हिदायत दे रखी है कि उनकी सहमति के बिना ऐसे किसी भी कागज पर हस्ताक्षर ना किए जाएं.
निलंबन का अधिकार LG के पास
इस फैसले से सरकार और उपराज्यपाल के बीच फिर से तकरार बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि सीनियर अधिकारियों को सस्पेंड करने का अधिकार सिर्फ उपराज्यपाल को है, जो गृह मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद ही ऐसा कर सकते हैं. सरकार के इस फैसले से नाराज दानिक्स के सभी अधिकारियों ने एक दिन की छुट्टी पर जाने का ऐलान कर दिया था.