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पनामा पेपर्स लीक मामले में सरकार की SC से अपील, चल रही है जांच, ना दें कोई आदेश

पनामा पेपर्स लीक मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम में कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेजी से चल रही है. सरकार ने बताया कि कई जांच एजेंसियां मामले की जांच में जुटी है, इसलिए अदालत इसमें कोई आदेश पास ना करें, क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है.

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सरकार ने कोर्ट से हस्तक्षेप न करने की अपील की
सरकार ने कोर्ट से हस्तक्षेप न करने की अपील की

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पनामा पेपर्स लीक मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम में कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेजी से चल रही है. सरकार ने बताया कि कई जांच एजेंसियां मामले की जांच में जुटी है, इसलिए अदालत इसमें कोई आदेश पास ना करें, क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पनामा पेपर्स लीक में कथित तौर पर विदेशों में बैंक खाते रखने वाले जिन भारतीयों के नाम सामने आए थे उनसे संबंधित 5 जांच रिपोर्ट एसआईटी के समक्ष पेश हो चुकी है. ये रिपोर्टें सीबीडीटी, रिजर्व बैंक, वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई मल्टी एजेंसी ग्रुप ने तैयार की है.

सरकार का कहना है कि एसआईटी मामले को देख रही है. वहीं इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील एम एल शर्मा से कोर्ट ने कहा कि इस मामले में SEBI की स्टैंड क्या है, उसको लेकर वो कोर्ट में आएं. अब इस मामले पर जनवरी के दूसरे हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. दरअसल एक जनहित याचिका में पनामा पेपर्स लीक मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच कराए जाने की अपील की गई है.

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इससे पहले 3 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट को आर्थिक मामले विभाग ने बताया था कि स्विस प्रशासन द्वारा कोई सूचना नहीं दिए जाने के बावजूद 8,186 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति को कर दायरे में लाया गया. तब मंत्रालय ने कोर्ट में कहा था कि यह मामला पूंजी बाजार नियामक सेबी से जुड़ा है और वही इस मामले में सक्षम प्राधिकरण है. मंत्रालय ने जनहित याचिका में सेबी अध्यक्ष यू के सिन्हा को सेबी प्रमुख के तौर पर फिर से नियुक्त करने को अवैध बताने और नियुक्ति को खारिज करने के अदालत से किए गए आग्रह का भी विरोध किया था.

जनहित याचिकाकर्ता का कहना है कि पनामा पेपर्स लीक में 500 भारतीयों के नाम हैं. कथित रूप से इनके अनुसार कई अभिनेता, उद्योगपति तथा अन्य लोग शामिल हैं जिन्होंने अपना धन विदेशी बैंक खातों और कंपनियों में निवेश किया है.

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