केंद्र सरकार गंगा नदी को प्रदूषण की मार से बचाने के लिए नया कानून लाएगी. इसमें गंगा नदी में प्रदूषण फैलाने के लिए सजा का भी प्रावधान होगा. यह बात खुद जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने सोमवार को बताई. लेकिन गंगा के प्रदूषण के लिए किस तरह की सजा हो सकती है इस बारे में पूछे जाने पर उमा भारती ने कहा कि यह बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है जो आस्था से भी जुड़ा हुआ है. इसीलिए इस बारे में जल्दबाजी से कुछ भी कहना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए कानून का मोटा खाका बनकर तैयार हो चुका है. लेकिन इसे कानूनी जामा पहनाने से पहले इसके हर पहलू पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और उसके बाद ही कोई फैसला किया जाएगा.
उमा भारती ने यह भी बताया कि दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित 10 नदियों में गंगा नदी शामिल है और कानपुर के आसपास गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित है. उमा भारती ने कहा कि कई स्टडी से यह बात साफ हो चुकी है कि कानपुर के आसपास गंगा का प्रदूषण बेहद ही खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है और अगर इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया तो गंगा नदी को बचाना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार एक ऐसा प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसमें गंगा नदी के किनारे बने कानपुर के टेनरीज यानी चमड़ा बनाने वाले कारखानों को शिफ्ट किया जाएगा. उमा ने कहा कि इस बारे में चमड़ा कारखाना के मालिकों से बात हो चुकी है और बहुत जल्दी इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार के अफसरों और टेनरी उद्योग के लोगों के साथ बैठक करने जा रही है.
जब उमा भारती से यह पूछा गया कि उन्होंने 2018 तक गंगा नदी को साफ कर देने की बात कही थी और अब क्या सरकार इसमें फेल हो गई है, तो उनका दावा था कि उन्होंने कभी भी पूरी तरह से गंगा को साफ करने के लिए 2018 की बात नहीं कही थी.
उन्होंने कहा कि गंगा को पूरी तरह से निर्मल बनाने के लिए 10 साल का समय लगेगा. उमा भारती ने दावा किया कि उन्होंने 2018 तक गंगा सफाई का पहला चरण पूरा करने की बात कही थी और शुरुआत में जो कदम उठाए गए हैं उसका असर दिखना शुरु हो गया है.