केंद्र का मानना है कि दूरदराज के क्षेत्रों में हवाई संपर्क सुधारने के प्रयास में राज्य सरकारों की प्रमुख भूमिका है और उन्हें इस काम को आगे बढाने के लिए विमान ईंधन पर वैट कम करने और दूर दराज के मार्गों पर उड़ानों में कुछ सीटों की जिम्मेदारी लेने जैसे वित्तीय उपाय करने चाहिए. इसके अलावा केंद्र चाहता है कि ऐसी जगहों पर हवाईअड्डों को पांच साल तक बिजली शुल्क और गृह कर और संपत्ति कर की छूट दी जानी चाहिए.
विमानन मंत्रालय ने ऐसे 87 गंतव्यों की प्रोत्साहन गंतव्य के रूप में पहचान की है और अनुसूचित एयरलाइंस के लिए यह अनिवार्य किया है कि वे इन गंतव्यों के लिए अक्तूबर, 2015 तक क्षमता कम से कम ट्रंक रूटों के बराबर करें.
एयरलाइंस को अपनी कम से कम 6 फीसदी क्षमता इन मार्गों पर कनेक्टिविटी के लिए देनी होगी. इन पहचाने गए गंतव्यों में जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर, लेह और जम्मू जैसे मार्ग शामिल हैं. क्षेत्रीय और दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार के बारे में नीति के मसौदे के अनुसार रणनीतिक व दूरदराज के क्षेत्रों में हवाई अड्डों का विकास भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को राज्य सरकारों से मिले सहयोग के जरिये करना चाहिए.