आज तक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इंडिया टुडे के संपादक व इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बात की. बातचीत में गडकरी ने अपनी प्राथमिकताओं और अपनी सोच के बारे में बताया.
जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली आकर वो कैसा महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि दिल्ली का मौसम उनके लिए ठंढा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्ष बनने पर सभी ने उनका स्वागत किया. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और ना ही उनकी कोई इच्छा है कि दिल्ली में आकर अपना राजनीतिक आधार मजबूत करें.
उन्होंने कहा ' मैं पार्टी का मामूली कार्यकर्ता हूं और पार्टी के लिए जड़ों से काम करना है. उन्होंने यह भी कहा 'अध्यक्ष भी व्यवस्था का हिस्सा होता है और मैं सबको साथ लेकर काम करूंगा. सभी लोग मेरे साथ हैं और मुझे ताकत दे रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि राजनाथ सिंह को पार्टी के अंदर के ही कई लोगों की वजह से कामयाबी नहीं मिल पाई तो क्या उनके साथ भी वैसा ही होगा. इस पर उन्होंने फिल्म 'नया दौर' का गाना 'छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी' सुनाते हुए कहा कि वो पुरानी बातें भूलना चाहते हैं और नए सिरे से काम करना चाहते हैं.
गडकरी ने कहा कि पार्टी में जो कमियां हैं उसे दूर किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि विकास पर ध्यान देने के साथ ही अनुशासन मजबूत करना और आपसी विश्वास कायम रखना जरूरी है. उन्होंने कहा कि वो यह सुनिश्चित करेंगे कि पार्टी के लोग पार्टी की अंदरूनी बातों की चर्चा मीडिया के सामने न करें, ऐसा करना गलत है. गडकरी ने कहा कि मीडिया में चर्चा से पार्टी कमजोर होती है इसलिए आंतरिक मामलों पर पार्टी में ही चर्चा होनी चाहिए.
पार्टी छोड़कर गए नेताओं को वापस लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं को जोड़ने की कोशिश करेंगे और इसके लिए प्रदेश और पार्टी के बड़े नेताओं से सलाह ली जाएगी. जब उनसे पूछा गया कि आप आरएसएस से प्रभावित हैं तो उन्होंने कहा कि आरएसएस से ज्यादा एबीवीपी से प्रभावित रहे हैं. झारखंड में बीजेपी द्वारा शिबू सोरेन के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि झारखंड में छोटी पार्टियों को तोड़ने का प्रयास चल रहा था. इसलिए झारखंड की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए तथा विकास के बारे में सोचते हुए राज्य में एक स्थिर सरकार बनाने के लिए ही बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ दिया है.