रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर जारी विवाद के बीच करीब एक लाख चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलेगी. ये लोग पांच दशक पहले पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत में आए थे और अभी पूर्वोत्तर के शिविरों में रह रहे हैं. 2015 में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश के बाद केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया गया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता देने का आदेश दिया था. इनमें से बड़ी संख्या में लोग अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह कल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे. हालांकि, मुख्यमंत्री शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि इससे राज्य की जनसांख्यिकी बदल जाएगी.
रिजजू ने बताई कांग्रेस की गलती...
चकमा और हाजोंग समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने पर गृह राज्य मंत्री किरण रिजजू ने कहा कि, " कांग्रेस की सरकार ने ही अरुणाचल में 1964 और 1969 के बीच इन्हें बसाया था. अरुणाचल प्रदेश के अलावा भी इन दोनों समुदायों को किसी और जगह भी बसाया जा सकता था. स्थानीय लोगों से पूछे बिना कांग्रेस ने इन्हें अरुणाचल में जगह दी, जो एक बड़ी गलती की है".
हालांकि, रिजजू ने सुप्रीम कोर्ट के आर्डर पर उचित कदम उठाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि, "चकमा और हाजोंग समुदाय के लोगों को नागरिकता देने के मामले में अरुणाचल के स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा. किसी भी सूरत में उनका नुकसान नहीं होगा. हम स्थानीय प्रशासन से मिलकर बेहतर कदम उठाएंगे".