राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है. लिहाजा राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. सभी दलों की निगाह मॉनसून सत्र में होने वाले राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव पर लगी हुई है. इसे 2019 से पहले विपक्षी एकता की पहली परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है.
कर्नाटक के नाटकीय घटनाक्रम ने विपक्षी दलों को एकजुट होने का मौका दिया था. वहीं, जम्मू कश्मीर में पीडीपी से दोस्ती टूटने की वजह से बीजेपी की राह थोड़ी कठिन हो गई है. सनद रहे कि पिछले 41 वर्षों से उपसभापति का पद कांग्रेस के पास है. वैसे पिछले 66 वर्षों में से 58 साल तक यह पद उसके पास रहा है, लेकिन इस बार उच्च सदन में संख्या का संतुलन ऐसा है कि कांग्रेस जीत का दावा नहीं कर सकती.
एकजुट होने की चुनौती
विपक्ष एकजुट होकर सत्ता पक्ष को मात देने की स्थिति में है, लेकिन इसके लिए कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों को एकजुट होना होगा. इनमें गैर-यूपीए, गैर-एनडीए वाले बीजेडी और तृणमूल भी हैं. ऐसा हुआ तो उनके पास कुल 128 वोट होंगे. लेकिन दो खेमों में बंटे विपक्ष को ऐसे प्रत्याशी की जरूरत होगी, जिस पर सभी सहमत हों. वहीं, बीजेपी के सामने एनडीए के घटक दलों को एकजुट रखने की चुनौती है. साथ ही उन दलों का समर्थन भी हासिल करना होगा, जो चार साल के दौरान एनडीए और यूपीए दोनों से दूरी बनाए हुए हैं.
तृणमूल कांग्रेस का समर्थन कर सकती है कांग्रेस
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदू शेखर राय को समर्थन देने का मन बना रही है. कांग्रेस ने इस रणनीति पर काम करते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अपने धुर विरोधी टीएमसी और बीजेडी के साथ बातचीत के रास्ते खोल दिये हैं. विपक्षी दलों में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को समर्थन करने के पीछे कांग्रेस की मंशा ये है कि ज्यादा से ज्यादा गैर बीजेपी दलों को एक साथ लाया जा सके.
कांग्रेस के इस दांव से तेलंगाना और आंध्र में कांग्रेस के विरोधी टीआरएस और टीडीपी को भी कोई परेशानी नहीं होगी. बता दें कि दोनों दल पहले से ही इस मामले को लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के संपर्क में हैं. वहीं तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन इस सवाल पर बचते नजर आए, अपने एक बयान में डेरेक ने कहा है कि उपसभापति के विपक्षी उम्मीदवार के नाम पर अभी फैसला नहीं किया गया है. हमने किसी का नाम नहीं लिया है. संयुक्त विपक्ष बाद में इस नाम के साथ सामने आएगा.
कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं
245 सदस्यीय राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 51 ही रह गई है. ऐसे में कांग्रेस के पास अपना उम्मीदवार जिता पाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है. लिहाजा कांग्रेस की कोशिश किसी ऐसे विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करने की है जिसके साथ ज्यादा से ज्यादा गैर बीजेपी दलों को इकट्ठा किया जा सके.