लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी में बीजेपी का चमात्कारिक प्रदर्शन सुनिश्चित करने वाले अमित शाह के सामने अब बड़ी जिम्मेदारी है. वे अब पार्टी के अध्यक्ष है और उसे चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. लेकिन शाह के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है.
इन्हीं चुनौतियों पर एक नजर
1. पार्टी के पुराने योद्धाओं का सम्मान सुनिश्चित करते हुए युवाओं को आगे लाना उनके लिए बड़ी चुनौती है. उन युवा नेताओं की पहचान करना, जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को चलाने में सक्षम है. ताकि उन नेताओं की जगह भरी जा सके, जो मोदी सरकार में शामिल हो गए.
2. अमित शाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के परंपरागत नेताओं की तरह नहीं है. जैसे राजनाथ सिंह. शाह के काम करने का अंदाज प्रोफेशनल है और उसकी कई परतें है. जहां पारदर्शिता का अभाव है. साथ ही काडर के साथ उनका जुड़ाव हल्का है. रणनीति और सर्वे के दम पर चुनाव तो जीते जा सकते हैं लेकिन पार्टी चलाना अलग बात है.
3. महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करना. साथ ही अल्पसंख्यकों को बताना कि बीजेपी उनका हित सोचती है. बिहार जैसे राज्यों में शाह के लिए यह बड़ी चुनौती है. बंगाल और यूपी में भी मुस्लिम आबादी कम नहीं है.
4. बीजेपी के भीतर ही क्षेत्रीय नेताओं के उभार को संभालना और शिवसेना जैसे सहयोगियों को हैंडल करना, शाह के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा सपा और टीएमसी जैसे पार्टियों के सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों की काट भी ढूंढ़ना होगा.
5. हमें पूरी उम्मीद है कि दक्षिण भारत में पार्टी को स्थापित करना उनकी प्राथमिकताा में सबसे ऊपर होगा. कर्नाटक बीजेपी की पकड़ से दूर होता गया, तो तेलंगाना में बीजेपी का कोई मजबूत आधार नहीं है. वहीं तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में बीजेपी को अपनी जगह बनानी है. वहीं नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ना होगा.
6. उन्हें इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी का विकास और उसकी जरूरतें, सरकार की मोहताज ना रहें. शाह को आरएसएस की संस्थाओं से भी अपने रिश्ते को सुधारना होगा, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मदद की थी.
7. शाह को युवा पीढ़ी और मध्य वर्ग का भी ध्यान रखना होगा, जिन्होंने चुनावों में बीजेपी को वोट किया था. जनता द्वारा मोदी सरकार की आलोचना बर्दाश्त करते हुए यह सुनिश्चित करना कि सरकार जनता की उम्मीदों को पूरा करे. जिससे कि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित ना हो.