ग्यारह साल जेल में रहने वाले जिस शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने अक्षरधाम हमले मामले में बरी कर दिया था, उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसी शख्स को गो हत्या के लिए फिर से जेल में भेज दिया है. चांद खान उर्फ शाह खान पर पुलिस ने 500 किलो बीफ रखने का आरोप लगाया है.
2006 में अक्षरधाम मामले में ट्रायल कोर्ट ने चांद खान को मौत की सजा सुनाई थी. गुजरात हाईकोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा. लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ठोस सबूत नहीं होने की वजह से उसे छोड़ दिया था. साबरमती जेल से बाहर आने के 2 साल बाद खान अब पीलीभीत जेल में बंद हैं. 2014 में जेल से छूटने के बाद खान वापस अपने परिवार के पास बरेली लौट आए थे.
पीलीभीत पुलिस ने दर्ज किया मामला
पीलीभीत के बीसालपुर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ गो हत्या के लिए मामला दर्ज किया गया. पुलिस के मुताबिक, जून 15 को सब-इंस्पेक्टर श्याम सिंह यादव गाड़ियों की जांच कर रहे थे, तभी उन्होंने एक कार से 500 किलो बीफ बरामद किया. चांद खान के अलावा अतीक और फैजन को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया. पुलिस का कहना है कि उन्होंने नहीं बताया था कि उनका नाम चांद खान भी है. लेकिन गुजरात पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, खान की पहचान सही है.
सितंबर 2002 में हुए अक्षरधाम हमले में 33 लोग मारे गए थे और 86 घायल हो गए थे. अहमदाबाद ट्रायल कोर्ट में खान के वकील रहे खालिद शेख का कहना है कि कोर्ट ने उन्हें दो आतंकवादियों को मदद करने के आरोप में सजा सुनाई थी.
पूछताछ के लिए ले गई, फिर दर्ज किया मुकदमा
चांद खान के छोटे भाई ताहिर खान का कहना है कि जेल से आने के बाद वह प्राइवेट टैक्सी ड्राइवर का काम करने लगे थे. वह जून में अपने पैतृक घर से लौट रहे थे, तभी पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए थाने ले गई. बाद में उनके ऊपर गो हत्या का मामला दर्ज कर दिया गया.
चांद खान की पत्नी नगमा परवीन ने कहा कि पुलिस उसके परिवार को प्रताड़ित कर रही है. नगमा के मुताबिक, पुलिस की एक टीम उसके घर पर आई थी और धमकी दी कि उसके घर की कुर्की कर ली जाएगी. नगमा का कहना है कि पुलिस के आने से उनकी दो बेटियों की जिंदगी और पढ़ाई प्रभावित हो रही है. पति के जेल में रहने के दौरान नगमा किराना की दुकान चलाती थी. नगमा का कहना है कि जब अक्षरधाम अटैक हुआ उस वक्त वे लोग कश्मीर के अनंतनाग में थे, जहां चांद खान कार मैकेनिक के तौर पर काम करते थे.