अंतरिक्ष में भारत ने बुधवार को एक और इतिहास रच दिया. भारत का पहला मानव रहित अभियान चंद्रयान-1 चांद की ऐतिहासिक यात्रा पर बुधवार सुबह करीब 6.22 बजे श्रीहरिकोटा से रवाना हो गया. जैसे ही चंद्रयान-1 लॉन्चिंग पैड से पीएसएलवी सी-11 से आसमान की तरफ उड़ा इसरो कंट्रोल रूम में बैठे सभी वैज्ञानिक में खुशी की लहर दौड़ उठी.
अगले 12 दिनों में चंद्रयान-1 को पृथ्वी की कक्षा से निकाल कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा, जहां वो दो साल तक चांद से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाता रहेगा और चांद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मुहैया कराता रहेगा. भारत अब अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, यूरोपीय स्पेस एजेंसी, चीन और जापान के बाद चांद के लिए यान भेजने वाला छठा देश बन गया.
चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए ये उसकी भौगोलिक परिस्थितियों और वहां मौजूद खनिज पदार्थों के बारे में आंकड़े जुटाएगा. चंद्रयान-1 अपने साथ बेहद आधुनिक और शक्तिशाली 11 उपकरण ले जा रहा है, जो हर तरीके से चांद के बारे में जानकारी जुटाएंगे. इसमें सबसे प्रमुख वो चार कैमरे हैं, जो चांद की धरती का त्रिआयामी एटलस तैयार करेगा.
चंद्रयान के साथ भारत एमआईपी यानी मून इम्पैक्ट प्रोब नाम का उपकरण भी भेज रहा है, जो चंद्रयान से अलग होकर चांद की धरती पर उतरेगा. इसके जरिए जुटाए गए आंकड़े भविष्य में इंसानों को सुरक्षित तरीके से चांद पर उतरने में मदद करेगा.
चंद्रयान में भारत के अलावा नासा और यूरोपिए अंतरिक्ष एजेंसी के 6 उपकरण भी लगे हैं, जिनमें सबसे अहम है एम -3 यानी मून मिनरालॉजी मैपर. ये उपकरण चांद पर खनिज पदार्थों की उपलब्धता के बारे में ब्यौरा जुटाएगा. गौरतलब है कि चांद पर मैग्निशियम, अल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन, टाइटैनियम, रेडॉन, यूरेनियम और थोरियम जैसे धातुओं का विशाल भंडार है.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इस ऐतिहासिक मौके पर वैज्ञानिकों और भारतवासियों को बधाई दी.