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लॉन्चिंग के बाद ऐसे चांद का सफर तय करेगा चंद्रयान-2

लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान 2 एक अंडाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा. चंद्रयान वहां पर अगले 17 दिन तक बार-बार रॉकेट छोड़ कर अपनी कक्षा का दायरा बढ़ाएगा.

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चंद्रयान 2 का काउंटडाउन शुरू (फोटो-अनिल जायसवाल)
चंद्रयान 2 का काउंटडाउन शुरू (फोटो-अनिल जायसवाल)

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श्रीहरिकोटा में चंद्रयान 2 के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. रविवार सुबह 6:51 पर जीएसएलवी मार्क 3 के लिए काउंटडाउन शुरू कर दिया गया.  20 घंटे पहले काउंटडाउन शुरू किया गया है. चंद्रयान 2 मिशन को 15 जुलाई को तड़के 2:51 पर लॉन्च किया जाएगा. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लॉन्चिंग की सारी चीजें दुरुस्त हैं और सब कुछ प्लानिंग के तहत ही चल रहा है.

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो चंद्रयान 2 के लिए भारत के सबसे ताकतवर लॉन्चर जीएसएलवी मार्क 3 इस्तेमाल कर रही है. इस स्पेस मिशन का टारगेट है चंद्रमा पर एक रोबोटिक रोवर उतारना, जिससे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद खनिज पदार्थों के बारे में छानबीन की जा सके. ऐसा पहली दफा है जब भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने की कोशिश कर रहा है. अगर भारत को सफलता मिलती है तो भारत चौथा ऐसा देश हो जाएगा जिसने चंद्रमा पर  सॉफ्ट लैंडिंग की है.

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भारत का चंद्रयान 2 अपने में खास है. इसमें एक लैंडर, एक रोवर और एक ऑर्बिटर जा रहा है. लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान 2 एक अंडाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा. वहां पर अगले 17 दिन तक बार-बार रॉकेट छोड़ कर अपनी कक्षा का दायरा बढ़ाएगा. दायरा बढ़ाने के बाद 17 दिन के बाद इस स्पेस मिशन को चंद्रमा की तरफ उछाला जाएगा. यहां से चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने तक चंद्रयान-2 को 5 दिन का समय लगेगा.

गौरतलब है कि चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर इसकी तरफ चक्कर लगाने लगेगा. चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित रहेगा. इसके बाद इसमें मौजूद लैंडर रोवर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. ऐसी उम्मीद है की 6 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर लैंडर रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग करा दी जाएगी. इसके बाद लैंडर से जिसका नाम विक्रम रखा गया है, रोवर बाहर आएगा. इसरो ने रोवर का नाम प्रज्ञान रखा है.

चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की जगह इसके दक्षिणी ध्रुव को चुना गया है. चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर एक चंद्रमा दिवस तक यहां पर चहलकदमी कर सकेगा. एक चंद्रमा दिवस का मतलब धरती के 14 दिन होता है.

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इस दौरान भारतीय वैज्ञानिकों ने एक खास तरीके का प्रयोग करने का भी प्लान किया है. इसके तहत 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर अपनी रोबोटिक आर्म से लेजर का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी को जलाएगा. इस दौरान इसकी स्पेक्ट्रम को जांचा जाएगा. यहां से मिली सभी जानकारी प्रज्ञान रोवर पहले विक्रम लैंडर को भेजेगा. विक्रम लैंडर इस जानकारी को ऑर्बिटर को भेजेगा और वहां से यह जानकारी डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए बेंगलुरु पहुंचेगी.

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