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20 घंटे का काउंटडाउन, जानें- कैसे शुरू हुई Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग

Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे होगी. अब ISRO वैज्ञानिकों और देश के लोगों की धड़कने तेज हो रही हैं. 14 जुलाई यानी आज रविवार को सुबह 6.51 बजे से चंद्रयान-2 की 20 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि अब तक सबकुछ सही तरीके से चल रहा है. चंद्रयान-2 को जीएसएलवी-MK3 रॉकेट अंतरिक्ष में ले जाएगा.

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चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर इंटीग्रेशन पर काम करते ISRO वैज्ञानिक. (Photo:ISRO)
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर इंटीग्रेशन पर काम करते ISRO वैज्ञानिक. (Photo:ISRO)

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भारत के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे होगी. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वैज्ञानिकों और देश के लोगों की धड़कने इसे लेकर तेज हो रही हैं. 14 जुलाई यानी आज रविवार को सुबह 6.51 बजे से चंद्रयान-2 की 20 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि अब तक सबकुछ सही तरीके से चल रहा है. चंद्रयान-2 को इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-MK3 अंतरिक्ष में ले जाएगा. इस रॉकेट को बाहुबली या फैट ब्वॉय भी कहते हैं.

करीब 7,500 लोग लाइव देखेंगे चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग

भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को देखने के लिए लोगों में भी खासा उत्साह है. उसे लाइव देखने के लिए ISRO की साइट पर अब तक करीब 7,537 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. बता दें कि इसरो ने हाल ही में यह शुरुआत की है कि लोग विशेषतौर पर बनाई गई स्पेस थीम पार्क में बैठकर इसरो के लॉन्च देख सकें.

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आइए जानते हैं कि कैसी होती है लॉन्चिंग की प्रक्रिया

चंद्रयान-2 मिशन को 18 सितंबर 2008 को ही सरकार की अनुमति मिल गई थी. इसके बाद इसके लैंडर, रोवर, ऑर्बिटर और रॉकेट की तैयारी की गई. इस मिशन के विभिन्न हिस्सों पर सालों से तैयारी चल रही थी. आपको बताते हैं कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लेकर 28 जून 2019 से लेकर अब तक इसरो के वैज्ञानिकों ने कैसी और क्या तैयारी की.

  • 28 जून 2019 - बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-MK3 के सभी स्टेज में बैट्री लगाई गई. ताकि रॉकेट से जुड़ने वाले सैटेलाइट के कुछ हिस्सों और रॉकेट के कैमरे व अन्य इलेक्ट्रॉनिक हिस्सों को बिजली का कनेक्शन मिल पाए.
  • 29 जून 2019 - रोवर प्रज्ञान को लैंडर विक्रम में जोड़ा गया. फिर इन दोनों को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में जोड़ा गया.
  • 30 जून 2019 - रॉकेट के सभी इल्केट्रिकल और पाइरो आर्मिंग (एक स्टेज से दूसरे स्टेज के इंजन को जोड़ने की प्रणाली) की जांच की गई. साथ ही लॉन्च बैट्री की चार्जिंग पूरी की गई.
  • 1 जुलाई 2019 - GSLV रॉकेट के आखिरी हिस्से में चंद्रयान-2 को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई.

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  • 2 जुलाई 2019 - रॉकेट और सैटेलाइट के बीच मौजूद इक्विपमेंट बे कैमरा प्रणाली को इंस्टॉल किया गया और उनकी जांच की गई. रॉकेट जब अंतरिक्ष में जाता है तब इन्हीं कैमरों से उसपर और पेलोड के अलग होने तक की सभी प्रक्रिया पर नजर रखी जाती है.
  • 4 जुलाई 2019 - चंद्रयान-2 की जीएसएलवी रॉकेट के साथ एसेंबलिंग पूरी की गई.
  • 5 जुलाई 2019 - लैंडर विक्रम और ऑर्बिटर का ग्राउंड स्टेशन से लिंक जांचा गया.
  • 6 जुलाई 2019 - लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी रॉकेट को एसेंबलिंग यूनिट से लॉन्च पैड 2 की तरफ ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई.

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  • 7 जुलाई 2019 - जीएसएलवी रॉकेट लॉन्च पैड 2 पर पहुंचा. इसके बाद उसके अंदर मौजूद चंद्रयान-2 की जांच की गई.
  • 8 जुलाई 2019 - फुल ड्रेस रिहर्सल शुरू हुई. यानी मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिक, केंद्र तय कार्यक्रम के अनुसार अपने-अपने काम की जांच करेंगे.
  • 9 जुलाई 2019 - रॉकेट और चंद्रयान-2 के पाइरो, प्रेशर सेंसर्स, यूसीयू, कनेक्टर केबल आदि की जांच की गई.
  • 10 जुलाई 2019 - क्रायोजेनिक स्टेज और ऑनबोर्ड ऐलीमेंट्री जांच की गई. लिक्विड स्टेज के कंट्रोल सिस्टम की जांच पूरी की गई.
  • 11 जुलाई 2019 - लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी की बैट्री पूरी तरह से चार्ज कर ली गई. रूटीन जांच की प्रक्रिया शुरु हुई.
  • 12 जुलाई 2019 - लॉन्च को लेकर शुरू की गई फुल ड्रेस रिहर्सल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई. रॉकेट के टैंक्स में तय दबाव के साथ भरे गए ईंधन की जांच की गई.

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