भारत का चंद्रयान-2 अब से कुछ घंटों के बाद चांद की सतह पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा, जिसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों का मिशन चांद शुरू होगा. चंद्रयान-1 जो काम नहीं कर पाया था, अब चंद्रयान-2 उसी काम को आगे बढ़ाएगा. 6 सितंबर की देर रात को जब चांद पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग हो रही होगी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के सेंटर में मौजूद होंगे.
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मिशन चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला यान होगा, साथ ही ये ऐसा पहला यान होगा जिसकी भारत सॉफ्ट लैंडिंग करा रहा है. जब चंद्रयान-2 चांद की सतह पर पहुंचेगा तो बहुत कुछ खास होगा, जिसपर वैज्ञानिकों की नज़र होगी. कुछ ऐसी ही बातें पढ़ें...
विक्रम लैंडर:
विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसी के अंदर रोवर मौजूद है.
प्रज्ञान रोवर:
रोवर ए आई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ''प्रज्ञान'' है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है. यही रोवर चांद की सतह पर उतरेगा और काम करेगा. इसका मकसद वहां से जानकारी जुटाना होगा, जिसे वह वैज्ञानिकों को भेजेगा.
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ISRO की वेबसाइट के अनुसार, प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर उतरने की जगह से पांच सौ मीटर की दूरी तक चल सकता है.
इस मिशन की कुछ तकनीकी चुनौतियां हैं:
1. चंद्रमा की सतह पर उतरते समय बेहद कम स्वजचालित गति सुनिश्चित करने के लिए थौटलेवल इंजनों वाला प्रोपल्श न सिस्टवम.
2. मिशन मैनेजमेंट- विभिन्नश चरणों पर प्रोपलैंट मैनेजमेंट, इंजन जलाना, कक्षा (ऑर्बिट) और प्रक्षेप पथ (ट्रैवेलरी) का डिजाइन
3. लैंडर विकास- दिशा सूचक (नेविगेशन), निर्देशन और नियंत्रण, दिशा बताने और बाधा से बचने के लिए नेविगेशन सेंसर और आराम से उतरने के लिए लैंडर लौग मैकेनिज्मन
4. रोवर विकास- लैंडर मैकेनिज्मर से रोल डाउन, चंद्रमा की सतह पर रोविंग मैकेनिज्मो, पावर प्रणालियों का विकास और परीक्षण, थर्मल (तापीय) प्रणालियां, संचार और मोबिलिटी प्रणालियां
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में कितना अंतर?
चंद्रयान 2 चांद की सतह पर अपना ‘विक्रम’ मॉड्यूल उतारने की कोशिश करेगा और 6 पहियों वाले रोवर 'प्रज्ञान' को चांद पर फिट कर देगा और इसके जरिए कई वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे.
जबकि चंद्रयान-1 ये काम नहीं कर पाया था. चंद्रयान-1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 KG था जबकि चंद्रयान-2 का भार 3850 किलोग्राम है.