केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों के तहत तीन पुराने श्रम कानूनों में संशोधन किया है. इन संशोधन के प्रभावी होने के बाद ओवरटाइम घंटे बढ़ाकर दोगुने किए जा सकेंगे तथा महिलाएं रात्रि पाली में काम कर सकेंगी. श्रमिक संगठनों ने इन बदलावों की कड़ी आलोचना की है.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून (कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने से छूट) कानून में संशोधन को कल रात मंजूरी दी.
श्रम मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, ‘मंत्रिमंडल ने (संशोधनों पर) अपनी मंजूरी दे दी है. संशोधन श्रमिकों के लिए लाभदायक होंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इसे संसद के मौजूदा सत्र में सदन के पटल पर रखा जायेगा.’ कानूनों में जो बदलाव किए गए हैं उनमें कुछ नियमों में ढील देना शामिल है ताकि महिलाएं रात्रि पाली में काम कर सकें, कुछ मामलों में ओवरटाइम घंटों को 50 घंटे से बढाकर 100 घंटे प्रति तिमाही तथा लोकहित तथा अन्य कुछ कामों में 75 घंटे से बढाकर 125 घंटे करना शामिल है.
श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री विष्णुदेव साई ने कहा था कि फैक्टरी कानून में प्रस्तावित संशोधन का ध्येय औद्योगिक क्षेत्र में मौजूदा परिदृश्य की जररतों के अनुरूप इसे ढालना था. हालांकि श्रमिक संगठनों ने विकास के नाम पर ‘जल्दबाजी में किए गए इन नियोक्ता अनुकूल संशोधनों’ की आलोचना की है. वे इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए जल्द ही बठक कर सकते हैं.
एटक ने यहां एक बयान में कहा, ‘एटक सचिवालय ने 30 जुलाई को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किये गये श्रम कानून संशोधनों के कुछ प्रावधानों का विरोध किया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लघु एवं मध्यम उपक्रमों से संबंधित फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून में संशोधनों को मंजूर करते वक्त केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों से संपर्क नहीं किया गया.’