मुंबई की कोर्ट ने सोमवार को 2006 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी सभी नौ लोगों को बरी कर दिया. इस ब्लास्ट में 37 लोगों की मौत हो गई थी. एटीएस की जांच में आरोपियों को सिमी का सदस्य बताया गया था और जांच के मुताबिक इन लोगों ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मदद से ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया था.
FLASH: All 9 accused of 2006 Malegaon blast case discharged by Mumbai court.
— ANI (@ANI_news) April 25, 2016
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी हुए नौ लोगों में से एक की मौत हो चुकी है, छह लोग बेल पर बाहर हैं और दो लोगों को मुंबई 7/11 ट्रेन धमाके में आरोप ठहराया जा चुका है.
Malegaon blast case: Out of 9 discharged, 1 is dead, six are out on bail and two are convicted in Mumbai 7/11 train blast case.
— ANI (@ANI_news) April 25, 2016
जब NIA ने लिया केस का चार्ज
एटीएस की जांच के बाद यह केस सीबीआई को दिया गया था और सीबीआई ने भी एटीएस की जांच को सही ठहराया था. इस केस में नया मोड़ तब आया, जब साल 2011 में केस का चार्ज एनआईए ने लिया. जांच के बाद दक्षिणपंथी हिंदू संगठन अभिनव भारत के सदस्यों को आरोपी बताया गया. गौरतलब है कि इसी संगठन के सदस्यों को 2008 में हुए दूसरे मालेगांव ब्लास्ट का दोषी पाया गया था.
बयान से पलटे असीमानंद
समझौता ट्रेन ब्लास्ट केस में आरोपी स्वामी असीमानंद के मुताबिक सुनील जोशी नाम के शख्स ने यह बात बताई थी कि पहले और दूसरे मालेगांव ब्लास्ट में एक ही संगठन का हाथ है. सुनील जोशी की हत्या के बाद असीमानंद ने अपना बयान वापस ले लिया था.
फैसले पर NIA की आपत्ति
2014 में NIA ने दावा किया कि ATS और CBI ने जिन लोगों को आरोपी बताया, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. हालांकि हाल में NIA ने आरोपियों को बरी करने की सुनवाई का विरोध किया था.
NIA के वकील प्रकाश शेट्टी ने बताया कि नौ मुस्लिम युवकों के खिलाफ भले ही सबूत ना मिले हों, लेकिन तकनीकी स्तर पर उन्हें अभी बरी करना सही नहीं है.