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उपचुनाव में हार से बदली 'चाणक्य नीति', छत्तीसगढ़ फतह के लिए बीजेपी का 'खास प्लान'

कर्नाटक चुनाव के समीकरणों के अलावा हाल ही में हुए उपचुनाव में बीजेपी की जो स्थिति बनी, उसे लेकर पार्टी नेताओं के बीच माथापच्ची का दौर शुरू हो चुका है.

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पीएम मोदी और अमित शाह, फाइल फोटो
पीएम मोदी और अमित शाह, फाइल फोटो

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उपचुनाव में लगातार मिल रही हार ने बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया है. 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले बीजेपी की असली परीक्षा अब छत्तीसगढ, राजस्थान और मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव में होगी.

छत्तीसगढ़ में लगातार चौथी बार सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए खास रणनीति बनाई है. पार्टी अपनी रणनीति के तहत पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेगी.

यह फीडबैक कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को कैसे पछाड़े इस विषय पर केंद्रित होगा. यही नहीं 15 साल में राज्य में बीजेपी सरकार ने कैसा काम किया है, इसको लेकर भी फीडबैक लिया जाएगा. कर्नाटक चुनाव के समीकरणों के अलावा हाल ही में हुए उपचुनाव में बीजेपी की जो स्थिति बनी, उसे लेकर पार्टी नेताओं के बीच माथापच्ची का दौर शुरू हो चुका है.

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पार्टी ने राजस्थान और मध्यप्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ में अपनी स्थिति का आंकलन काफी मजबूत पाया है. लिहाजा बदली हुई रणनीति के तहत छत्तीसगढ़ के कई पत्रकार, गणमान्य नागरिक, डॉक्टर, वकील, रिटायर्ड नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को पार्टी खर्च पर दिल्ली भेजे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. दिल्ली के पांच सितारा होटलों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मेल-मुलाकात कराई जा रही है. पार्टी के नेता उनके फीडबैक को दर्ज कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री से लेकर कई केंद्रीय मंत्री जाएंगे छत्तीसगढ़

नए समीकरणों और रणनीति के तहत बीजेपी राज्य की सभी 11 संसदीय सीटों और 90 विधानसभा सीटों पर अपनी उम्मीदवारी न केवल तय करने बल्कि जीत के लिए अभी से एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.

इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को आधार बनाया गया है. इसके तहत 14 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भिलाई आयंगे. वे यहां भिलाई स्टील प्लांट की विकास योजनाओं और उपलब्धियों पर आम सभा करेंगे.

पीएम मोदी यहां कई योजनाओं का शिलन्यास भी करेंगे. वहीं 10 जून को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अंबिकापुर का दौरा करेंगे. वे यहां मुख्यमंत्री रमन सिंह की विकास यात्रा में शामिल होंगे. साथ ही सरगुजा संसदीय क्षेत्र और इस इलाके की लगभग पंद्रह विधानसभा सीटों के गणित को लेकर स्थानीय नेताओ से बातचीत करेंगे.

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इसके अलावा 4 जून को केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा का दो दिवसीय दौरा होगा.  नड्डा बस्तर और सरगुजा डिवीजन में पार्टी की स्थिति और सर्वे रिपोर्ट का अध्यन करेंगे. इसके अलावा मैदानी इलाकों की सीटों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से पहले जे.पी. नड्डा की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. बताया जा रहा है कि वो सरकार और संगठन का रिपोर्ट कार्ड अमित शाह को सौपेंगे.

बसपा के सहारे कांग्रेस

बता दें कि छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के रूप में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए नए समीकरणों पर काम कर रही है. कांग्रेस ने बीएसपी के साथ तालमेल करने का ऐलान किया है.

आदिवासियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सर्व आदिवासी समाज, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान पार्टी और  समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं को एकजुट करना शुरू कर दिया है. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 50 पर बीजेपी और 39 पर कांग्रेस और एक मात्र सीट पर बीएसपी काबिज है.

हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने जो नई पार्टी जनता कांग्रेस का गठन किया है, उसमें कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायक शामिल हुए हैं. इसके चलते कांग्रेस 36 सीटों पर ही सिमट गई है.

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पार्टी की कोशिश है कि बीजेपी के तमाम विरोधी दलों को एकजुट कर पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरा जाए. उधर बीजेपी मिशन 65 को लेकर अपनी जीत तय करने के तमाम समीकरणों को अमलीजामा पहनाने में जुटी है. 

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