scorecardresearch
 

प्यार टूटने पर दिमाग में होता है केमिकल लोचा

आपको यह बात आश्चर्यजनक लगती होगी कि कोई व्यक्ति अपने बिछड़े प्रेमी के शोक में लंबे समय तक क्यों घुलता रहता है. वैज्ञानिकों के अनुसार प्रेम में बिछड़ने पर मस्तिष्क में लगभग उसी तरह का असर होता है जैसे नशे की लत छोड़ने पर.

Advertisement
X

आपको यह बात आश्चर्यजनक लगती होगी कि कोई व्यक्ति अपने बिछड़े प्रेमी के शोक में लंबे समय तक क्यों घुलता रहता है. वैज्ञानिकों के अनुसार प्रेम में बिछड़ने पर मस्तिष्क में लगभग उसी तरह का असर होता है जैसे नशे की लत छोड़ने पर.

Advertisement

दिल की चोट खाये लोगों के मस्तिष्क के बारे में पहली बार किये गये अध्ययन में पाया गया कि उनके पूर्व प्रेमी या प्रेमिका की याद दिमाग के उस हिस्से को सक्रिय बना देती है जो लत की तलब, भावनाओं पर नियंत्रण, जुड़ाव का भाव, शारीरिक दर्द और अवसाद से जुड़ा होता है.

अनुसांधनकर्ताओं के अनुसार अध्ययन के नतीजों से इस बात पर रोशनी पड़ती है कि क्यों कुछ लोगों के लिए दिल टूटना बेहद दुखदायी प्रसंग होता है और क्यों कुछ लोग आत्महत्या या नरसंहार जैसे घातक कदम उठाते हैं. न्यूजर्सी के रगर्स विश्वविद्यालय की मानवविज्ञानी और अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने वाली हेलन ई फिश ने कहा, ‘रूमानी प्यार एक लत होती है.’

लाइव साइंस ने हेलन के हवाले से कहा, ‘जब चीजें ठीक चल रही हो तो यह एक जबरदस्त आश्चर्यजनक लत होती है लेकिन जब चीजें खराब चलने लगे तो यह बेहद भयावह लत हो जाती है.’ अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने कालेज जाने की उम्र के 15 स्वयंसेवियों (10 महिला एवं पांच पुरूष) के मस्तिष्क का अध्ययन किया. इनके प्रेम संबंध में हाल में समाप्त हुए थे लेकिन वे उस व्यक्ति को अभी तक प्रेम करते थे जिन्होंने ठुकराया था.

Advertisement

संबंधों की औसत अवधि करीब दो साल थी और संबंध खत्म हुए करीब दो माह हो चुके थे. अध्ययन में भागीदारों को उनके पूर्व प्रेमी या प्रेमिका के चित्र दिखाये और उनसे कहा गया कि वे साथ बिताये गये क्षणों को याद करें. तुलनात्मक रूप से उनके मस्तिष्क का उस समय भी अध्ययन किया गया जब वह पहचान वाली प्राकृतिक छवियों को देखते हैं.

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जब पूर्व प्रेमी या प्रेमिका के चित्र दिखाये गये तो मस्तिष्क के वेंट्रल टेगमेंटल क्षेत्र में प्रतिक्रिया हुई जो ‘प्रेरणा और पुरस्कार’ से संबंधित होता है. अध्ययन के परिणाम जर्नल आफ न्यूरोफिजियोलाजी के जुलाई अंक में प्रकाशित हुए हैं.

Advertisement
Advertisement