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CAA-NRC के खिलाफ स्टालिन और कनिमोझी, विरोध में घर के बाहर बनाई रंगोली

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. सोमवार को चेन्नई में द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (डीएमके) के चीफ एमके स्टालिन और डीएमके सांसद कनिमोझी के घरों के बाहर रंगोली बनाई गई है, जिसके जरिए सीएए और एनआरसी का विरोध किया गया है. दरअसल, डीएमके ने फैसला किया था कि पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने घर के बाहर रंगोली बनाकर सीएए और एनआरसी का विरोध करेंगे. इसकी शुरुआत एमके स्टालिन और कनिमोझी ने की है.

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एमके स्टालिन और डीएमके सांसद कनिमोझी के घरों के बाहर रंगोली बनाई (फोटो-ANI)
एमके स्टालिन और डीएमके सांसद कनिमोझी के घरों के बाहर रंगोली बनाई (फोटो-ANI)

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  • रंगोली बना द्रमुख प्रमुख ने सीएए-एनआरसी के खिलाफ जताया विरोध
  • इस दौरान नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा गया

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. सोमवार को चेन्नई में द्रविड़ मुन्नेत्र कजगम (डीएमके) के चीफ एमके स्टालिन और डीएमके सांसद कनिमोझी के घरों के बाहर रंगोली बनाई गई है, जिसके जरिए सीएए और एनआरसी का विरोध किया गया है.

दरअसल, डीएमके ने फैसला किया था कि पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने घर के बाहर रंगोली बनाकर सीएए और एनआरसी का विरोध करेंगे. इसकी शुरुआत एमके स्टालिन और कनिमोझी ने की है.

बता दें कि चेन्नई में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने रविवार को बेसंत नगर इलाके में 'कोलम' (रंगोली) बनाई और नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा.

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सिटी पुलिस ने इस संबंध में छह महिलाओं को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया. 'कोलम' ने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिस वजह से यातायात बाधित हुआ.

पुलिस ने पहले संपर्क किए जाने पर इस तरह के 'कोलम' को बनाए जाने की अनुमति देने से इनकार किया. हालांकि, महिलाओं का यह समूह अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा. इन्हें पुलिस ने कम्युनिटी सेंटर में हिरासत में लिया, जिसके कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी.

एक फेसबुक पोस्ट में स्टालिन ने कहा कि यह अन्नाद्रमुक सरकार के अत्याचार का एक अन्य उदाहरण है, जो संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के इस्तेमाल को रोकता है.

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