भारत के कई शहर इस वक्त भीषण जल संकट से गुजर रहे हैं. इनमें चेन्नई सबसे ऊपर है. चेन्नई में जल संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां कई कंपनियों ने पानी की समस्या के कारण कर्मचारियों को ऑफिस आने से मना कर दिया है और 'वर्क फ्रॉम होम'' लागू कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई भारत ही नहीं दुनिया भर में सबसे ज्यादा जल संकट वाला शहर बन गया है. चेन्नई के अलावा कोलकाता दुनिया भर में दूसरा सबसे जल संकट वाला शहर है. तीसरे नंबर पर तुर्की का शहर इस्तांबुल है.
भारत के ये तीन शहर भी टॉप 20 में शामिल
चेन्नई के अलवा भारत के तीन और शहर ऐसे हैं जो दुनिया के भीषण जल संकट वाले शहरों में शामिल हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में WWF ग्लोबल वाटर स्टीवार्डशिप लीड के एलेक्सिस मॉर्गन ने बताया कि दुनिया के जल संकट से जूझ रहे 400 शहरों में चेन्नई टॉप है. 2018 में इन 400 शहरों पर शोध किया गया था. भारत में चेन्नई के अलावा और कई शहर शामिल हैं जहां भीषण जल संकट बना हुआ है. दुनिया भर के टॉप 20 शहर, जो भीषण जल संकट से गुजर रहे हैं उसमें कोलकाता दूसरे नंबर पर है. दुनिया भर के टॉप 20 जल संकट वाले शहरों में तेहरान छठे नंबर पर है. जापान का जकार्ता सातवें और अमेरिका का लॉस एंजेलिस आठवें नंबर पर है. चेन्नई के अलावा भारत से मुंबई 11वें और दिल्ली 15वें नंबर पर है.
शोध के मुताबिक जल संकट से जूझ रहे शहरों में ज्यादातर शहर नदियों के किनारे बसे हैं. यहां आबादी बहुत ज्यादा है और नदियों के पानी का ज्यादा प्रयोग किया गया. साथ ही इन नदियों के पानी का इस्तेमाल भी बेतरतीब तरीके से किया गया. जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और सूखा जैसी समस्याओं का सामना दुनिया भर के कई शहरों के लोगों को करना पड़ रहा है. चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में जलस्रोत लगातार सूख रहे हैं. इससे जल संकट पैदा हो रहा है. साथ ही 1970 से अब तक दुनिया भर में 35 जल के स्रोत सूख चुके हैं. शोध के मुताबिक जिस रफ्तार से जंगल खत्म हो रहे हैं उससे तीन गुना अधिक रफ्तार से जल के स्रोत सूख रहे हैं.
चेन्नई में कैसे हैं हालात
चेन्नई के लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं. यहां जल संकट को कम करने के लिए एक करोड़ लीटर पानी वेल्लोर के जोलारपेट से ट्रेन से मंगाया गया. चेन्नई को पानी की सप्लाई करने वाली चार प्रमुख झीलें सूख चुकी है. शहर में जल भंडारण बढ़ाने के लिए जल इकाइयों की मरम्मत और उन्हें मजबूत करने का काम किया जा रहा है. ऐसे में शहर की लगभग 40 लाख से ज्यादा आबादी के लिए एक मात्र उम्मीद केवल सरकारी टैंकर बची है.