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छत्तीसगढ़ पुलिस ने बनाई 200 महिला माओवादियों की लिस्ट, पुरुष नक्सलियों से भी हैं खतरनाक

सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ पुलिस ने करीब 200 महिला माओवादियों की लिस्ट तैयार की है. इस लिस्ट को राज्य के नक्सल-प्रभावित इलाकों के अलावा 10 राज्यों की पुलिस के पास भेजा जाएगा. लिस्ट तैयार करने में आईबी और राज्य के खुफिया महकमे का भी सहयोग लिया गया है.

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संकेतात्मक तस्वीर
संकेतात्मक तस्वीर

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सुकमा के नक्सली हमले में 25 जवानों की शहादत ने छत्तीसगढ़ में सुरक्षा एजेंसियों को अपनी रणनीति पर नए सिरे से सोचने को मजबूर किया है. अब राज्य की पुलिस हिंसा में बराबर की शरीक महिला नक्सलियों पर नकेल कसने की तैयारी में है.

बन गई सबसे खतरनाक महिला नक्सलियों की लिस्ट
सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ पुलिस ने करीब 200 महिला माओवादियों की लिस्ट तैयार की है. इस लिस्ट को राज्य के नक्सल-प्रभावित इलाकों के अलावा 10 राज्यों की पुलिस के पास भेजा जाएगा. लिस्ट तैयार करने में आईबी और राज्य के खुफिया महकमे का भी सहयोग लिया गया है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर खतरनाक कमांडर वनीता है. उस पर 10 लाख का ईनाम है. वनीता सीपीआई (माओवादी) की महिला विंग की कमांडर है. उस पर माओवादियों के शहरी नेटवर्क के जरिये टॉप के नक्सली नेताओं और सेंट्रल कमेटी के सदस्यों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने का भी जिम्मा है.

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आसान नहीं महिला नक्सलियों तक पहुंचना
हालांकि महिला नक्सली कैडर कई जानलेवा हमलों में अपने पुरुष साथियों के साथ बराबरी का भागीदार रहा है. लेकिन बहुत सारी महिला नक्सली या तो जासूसी के काम में जुटी हैं या फिर ग्रामीण और शहरी नेटवर्क में फर्जी पहचान अपनाकर चुपचाप नक्सलियों के लिए काम करती हैं. ऐसी कई महिला नक्सली हैं जिनकी तस्वीर पुलिस के पास नहीं है. लिहाजा उनकी कद-काठी, हुलिया और बातचीत के तरीकों से अंदाजा लगाकर तस्वीर तैयार की गई है.

पुरुष नक्सलियों से भी खतरनाक महिला कैडर
नक्सलियों का महिला कैडर बीते 5 सालों में 50 से ज्यादा हमलों को अंजाम दे चुका है. जंगलों में सुरक्षा बलों को गुमराह करने, उनपर घात लगाकर हमला करने और हथियार लूटने में भी महिला नक्सलियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. पुलिस के मुताबिक महिला नक्सलियों ने जासूरी के भी ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जो पुलिस अफसरों को हैरत में डालने वाले हैं. महिला नक्सली शहरों और गांवों में नक्सली नेटवर्क को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती हैं. इनमें से कइयों ने अस्पताल में रहकर बाकायदा नर्सिंग कोर्स किये हैं ताकि घायल माओवादियों का इलाज कर सकें. हालांकि नक्सली संगठन में इनमें से बहुत सी महिलाओं को शारीरिक शोषण का भी शिकार होना पड़ता है.

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