छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में मारे गये कांग्रेसियों की शहादत को चुनाव मे भुनाने के लिए अब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उसी जगह जा रहे हैं. राहुल 26 सितंबर को जगदलपुर में उसी जगह पर रैली करेंगे जहां से रैली करके कांग्रेसी नेता निकले थे.
गौरतलब है कि 25 मई को जगदलपुर में रैली करके जैसे ही कांग्रेसी नेताओं का काफिला निकला था तो दरभा घाटी में नक्सलियों ने घेरकर उन पर हमला कर दिया था. इस हमले मे कांग्रेसी नेता और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे, वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल और विधायक महेंद्र कर्मा सहित 25 लोग मारे गये थे.
अब राहुल उसी जगदलपुर में रैली करके लोगों को याद दिलायेंगे कि किस तरह से कांग्रेसी नेताओं ने शहादत दी और कैसे रमन सिंह सरकार नक्सलियों को रोकने में नाकाम रही. राहुल इसी रैली के साथ छत्तीसगढ़ में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे.
इसके साथ राहुल के मंच पर तमाम कांग्रेसी नेताओं की एकजुटता को दिखाया जायेगा. खासतौर पर कांग्रेसी नेता अजीत जोगी को साथ लेकर ये दिखाया जायेगा कि जोगी अब मान गये हैं. आपको बता दें कि जोगी और प्रदेश अध्यक्ष चरण दास महंत में जमकर खींचतान चल रही है.
खुद चरण दास महंत कहते हैं कि राहुल की इस रैली में हम दिखायेंगे कि छत्तीसगढ़ की सरकार किस तरह नाकाम रही है. राहुल की इस रैली का एक अहम मकसद हमले के बाद से हताश चल रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंकना है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ का ये इलाका कांग्रेस और बीजेपी दोनो के लिए नाक का सवाल बना हुआ है. बस्तर का ये इलाका छत्तीसगढ़ के चुनाव में सबसे अहम भूमिका निभाता है.
छत्तीसगढ़ की 90 सीटों की विधानसभा में ये इलाका सबसे अलग है और यहां की 13 सीटों में से 12 पर पिछली बार जीत हासिल कर बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी. इस बार कांग्रेस यहीं पर सबसे ज्यादा चोट करना चाहती है.
कांग्रेस की रणनीति यहां के आदिवासी नेता और हमले में मारे गये महेंद्र कर्मा की शहादत को भुनाना है. इसलिए कांग्रेस अपनी रैली में कर्मा के बेटे को अगले उम्मीदवार के तौर पर पेश करेगी ताकि आदिवासियों में एक बड़ा संदेश जा सके. इसके साथ ही राहुल यहां पर भूमि अधिग्रहण कानून की बात भी करेंगे क्योंकि इस इलाके के आदिवासी बैलाडीला की खदानों में अधिग्रहण और इस्पात कारखाना लगाये जाने का विरोध करते रहे हैं.