पुणे विस्फोट मामले में किसी तरह की खुफिया विफलता को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि आतंकवादियों ने जर्मन बेकरी जैसे ‘आसान निशाने’ को लक्ष्य बनाया है, जहां आमतौर पर विदेशी लोग और भारतीय मौजूद होते हैं.
उन्होंने कहा कि बेकरी के पास ही स्थित ओशो आश्रम और यहूदियों का चाबड़ हाउस जैसे ‘ कठिन निशानों’ की टोह लश्कर ए तैयबा के अमेरिकी संदिग्ध डेविड हेडली ने भारत यात्रा के दौरान ली थी और ये स्थान कुछ समय से आतंकवादियों के निशाने पर थे.
उन्होंने प्रत्येक मृतक के परिजनों को पांच लाख रूपया मुआवजा देने की भी घोषणा की.
चिदंबरम यहां स्थानीय अस्पताल का दौरान करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे जहां पुणे बेकरी विस्फोट मामले में घायल लोगों को भर्ती कराया गया है.
गृह मंत्री ने कहा ‘‘ लेकिन इन कठिन निशानों के अलावा कुछ आसान लक्ष्य वाले स्थान भी है..ये सभी (जर्मन बेकरी और पास ही स्थित इतालवी रेस्तरां) आसान निशाने हैं, जहां व्यस्त समय में विदेशी लोग तथा भारतीय पहुंचते हैं.’’
चिदंबरम ने कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता विस्फोट की जांच करेगा. उसने इसके लिए दल कर गठन कर लिया है. पुणे में यहूदियों के प्रार्थना स्थल के नजदीक एक बेकरी में कल शाम हुए बम विस्फोट में पांच महिलाओं और एक विदेशी नागरिक सहित नौ लोग मारे गए थे जबकि 45 अन्य घायल हो गए थे.
मुम्बई में 14 महीने पहले हुए आतंकी हमले के बाद हुआ यह विस्फोट पहला आतंकी हमला है.
आईआईडी विस्फोटक जर्मन बेकरी की रसोई के बाहर रखे एक लावारिस पैकेट में रखा था जिसमें शाम लगभग साढ़े सात बजे जबर्दस्त धमाका हुआ जब वेटर ने उसे खोलने का प्रयास किया.
गृह मंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक व्यक्ति या कुछ लोग ग्राहक के रूप में जर्मन बेकरी में आए और उनमें से एक व्यक्ति ने बेकरी के टेबल के नीचे पैकेट रख दिया.
इस मामले में किसी तरह की खुफिया विफलता से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस इस स्थान के पास स्थित ओशो आश्रम और चाबड़ हाउस के बारे में सचेत थी.
चिदंबरम ने कहा ‘‘ इसलिए यह स्थान आतंकवादियों के निशाने पर थी. इस मामले में कोई खुफिया विफलता नहीं है लेकिन इस बात को समझे कि यह किसी बंदूकधारी की ओर से किया गया हमला नहीं था. यह धोखे से रखा गया बम था जिसे पैकेट में बंद कर रखा गया प्रतीत होता है.’’