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चिदम्बरम ने दिया सईद के खिलाफ कार्रवाई पर जोर

भारत ने पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली से पूछताछ में उभरे तथ्यों के आधार पर मुम्बई हमलों में जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद की संलिप्तता के बारे में और विस्तृत जानकारी मुहैया कराते हुए स्पष्ट किया है कि सईद तथा उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई होना दोनों मुल्कों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा.

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भारत ने पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली से पूछताछ में उभरे तथ्यों के आधार पर मुम्बई हमलों में जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद की संलिप्तता के बारे में और विस्तृत जानकारी मुहैया कराते हुए स्पष्ट किया है कि सईद तथा उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई होना दोनों मुल्कों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा.

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सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और उनके पाकिस्तानी समकक्ष रहमान मलिक के बीच हुई बैठकों में भारत ने पाकिस्तान से हो रही अन्य आतंकवादी गतिविधियों तथा सीमा सम्बन्धी उल्लंघनों की सूची भी सौंपी. उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान जम्मू-कश्मीर में मारे गए पाकिस्तानी नागरिकों की फेहरिस्त भी सौंपी है.

पिछले तीन दशक के दौरान पाकिस्तान की यात्रा करने वाले पहले भारतीय गृह मंत्री चिदम्बरम और मलिक ने करीब दो घंटे तक औपचारिक बातचीत की और यह सिलसिला रात्रि भोज के दौरान भी करीब 90 मिनट तक चला. चिदम्बरम ने साफतौर पर कहा कि पाकिस्तान को नवम्बर 2008 में हुए मुम्बई हमलों के लिये जिम्मेदार लोगों तथा भारत द्वारा सौंपे गए 11 डोजियर में चिन्हित लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिये.

सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री मंत्री ने मलिक से कहा कि मुम्बई हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा. यह भी माना जा रहा है कि चिदम्बरम ने मुम्बई हमलों के सभी षड्यंत्रकारियों, वित्तीय मददगारों और उन्हें अंजाम देने वाले आतंकवादियों को निर्देश दे रहे लोगों को सजा दिये जाने के लिये सख्त कार्रवाई करने पर भी जोर दिया.

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लखवी समेत सातों संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल अपनी शुरुआत के बाद से ही विवादों के घेरे में है. मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों को दो बार बदला गया और लखवी के वकील ने अपने मुवक्किल को बरी कराने के लिये कम से कम सात याचिकाएं दायर कीं. इन अर्जियों में उसने अभियोजन पक्ष द्वारा तैयार किये गए मुकदमे को चुनौती देते हुए मामले को किसी दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की मांग भी की थी.

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