बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम को माओवादी खतरे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर मीडिया के जरिए बात करने के बदले सीधे राज्यों से बात करनी चाहिए.
कोलकाता में हाल में आयोजित बैठक में उनके भाग नहीं लेने के बारे में चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नीतीश ने कहा, ‘केंद्र को राज्यों को विश्वास में लेना चाहिए और राज्यों से सीधे बात करनी चाहिए.’
नक्सलवाद से निपटने के मुद्दे पर चिदंबरम ने फरवरी में कोलकाता में एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलायी थी जिसमें नक्सल प्रभावित पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और झारखंड ने शिरकत की थी. नीतीश ने कहा, ‘मैंने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलायी गयी कई बैठकों में भाग लिया है. मैंने कोलकाता में चिदंबरम की बैठक में भाग लेने के लिए बिहार के गृह सचिव और डीजीपी सहित कई अधिकारियों को भेजा था.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों को पता होना चाहिए कि गृह सचिव और डीजीपी मेरी सहमति के बिना किसी बैठक में शामिल नहीं हो सकते.’ नीतीश ने कहा कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी इस मुद्दे को लेकर चिदंबरम के तरीके से असहमत थे.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस कार्रवाई (माओवादियों के खिलाफ) जरूरी हो जाने पर हम पीछे नहीं हटेंगे.’ नीतीश ने कहा कि उनकी पार्टी की धारणा है कि विकास के जरिए नक्सलवाद का मुकाबला किया जा सकता है. ‘विकास की किरण जमीनी स्तर पर समाज के सभी तबकों तक पहुंचनी चाहिए और विकास एकमात्र विकल्प है जिससे समस्या का समाधान हो सकता है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमें भ्रष्टाचार पर पूरा नियंत्रण सुनिश्चित करना होगा और देखना होगा कि विकास के फायदे समाज के वंचित तबकों तक पहुंचें.’ बिहार सरकार ने समस्या का मुकाबला करने के लिए 67 पंचायतों में ‘आपकी सरकार, आपके द्वार’ शुरू की थी.