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प्रधान न्यायाधीश ने मोदी के साथ समारोह में शिरकत की

देश के प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन रविवार को गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के समारोह में मंच पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उपस्थित हुए.

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देश के प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन रविवार को गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के समारोह में मंच पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उपस्थित हुए.

दोनों ही विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस जे मुखोपाध्याय के साथ हिस्सा ले रहे हैं. मंच पर न्यायमूर्ति बालकृष्णन मोदी के दाहिने तरफ बैठे थे जबकि मुख्यापाध्याय उनके बायें तरफ बैठे थे.

मोदी शनिवार को ही 2002 के गुजरात दंगे के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के सम्मुख पेश हुए थे. एसआईटी ने उनसे नौ घंटे से भी अधिक समय तक पूछताछ की थी. पूर्व सासंद एहसान जाफरी की विधवा ने मोदी के खिलाफ शिकायत की थी.

एहसान जाफरी को 2002 के दंगे के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में 59 अन्य लोगों साथ मार दिया गया था.

मोदी पर एक हाउसिंग सोसायटी में भीड़ के हमले में अनदेखी के आरोप हैं, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी और 68 अन्य की मौत हो गयी थी. मोदी से सीबीआई के पूर्व डीआईजी ए.के. मल्होत्रा के नेतृत्व में अधिकारियों के एक दल ने सवाल-जवाब किये.

दंगों के मामले में पिछले आठ साल से कठघरे में रहने के सवाल पर मोदी ने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘आपने मुझे अब भी कठघरे में रखा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘विस्तार से बातचीत की. भारतीय संविधान के अनुसार कानून सर्वोपरि है. एक आम आदमी और मुख्यमंत्री के तौर पर मैं भारतीय संविधान और कानून से बंधा हुआ हूं. कोई भी कानून से उपर नहीं हो सकता.’’ एसआईटी प्रमुख आर.के. राघवन मोदी से पहले दौर की पूछताछ के दौरान अपने दफ्तर में मौजूद नहीं थे.

मोदी ने कहा, ‘‘आठ साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब कोई इस मुद्दे पर मुझसे बात करना चाहता था और मैं इसमें शामिल हुआ.’’ अपने आलोचकों के लिए उन्होंने कहा, ‘‘भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे जिन्होंने कहा कि मैं आठ साल से नहीं बोला.’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आज के घटनाक्रम से उन लोगों को सद्बुद्धि आएगी जो गलतफहमी और झूठ फैलाना चाहते हैं.’’

जब मोदी से पूछा गया कि क्या उनसे गुलबर्ग सोसायटी के दंगे के मामले में पूछताछ की गयी तो उन्होंने कहा, ‘‘27 फरवरी (2002) से लेकर चुनावों तक के सवाल थे.’’ एसआईटी द्वारा पूछे गये सवालों की संख्या पर उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन्हें गिना नहीं.’’

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