देश के नए चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कई मुद्दों पर मीडिया से बातचीत की. अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसले को लेकर जस्टिस बोबडे ने कहा कि सुनवाई को जानबूझ कर टाला नहीं गया है, लेकिन उसमें कुछ दिक्कतें थीं. जिसमें कागजों के अनुवाद की दिक्कत भी शामिल थी.
अयोध्या मसले पर उन्होंने सिर्फ यही कहा कि अभी ये मसला कोर्ट में है, ऐसे में किसी केस पर चर्चा नहीं की जा सकती है. आपको बता दें कि 17 नवंबर को मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं और जस्टिस बोबडे 18 नवंबर को अगले CJI पद की शपथ लेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नाम के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है.
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— India Today (@IndiaToday) October 31, 2019
जस्टिस बोबडे ने कई मुद्दों पर की बात...
जजों के धार्मिक अनुभवों पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि किसी मामले के वक्त जज हमेशा अपनी व्यक्तिगत राय से आगे बढ़ जाते हैं. इस दौरान उन्होंने देश के लिए यही संदेश दिया कि लोग न्यायपालिका में भरोसा रखें.
लीगल फीस की बढ़ोतरी के मुद्दे पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि इस मसले को बार एसोसिएशन के सामने उठाना चाहिए, कोर्ट इसमें कुछ नहीं कर सकता है. इसपर एक कानून भी बनाया जा सकता है, लेकिन कोर्ट इसमें शामिल नहीं है.
जजों को लेकर उन्होंने कहा कि जजों के बीच अक्सर अलग विचार होते हैं, लेकिन सभी एक ही होते हैं. न्यायपालिका पर सरकारी कंट्रोल को लेकर उन्होंने किसी जवाब देने से इनकार किया और कहा कि वह किसी विवाद में नहीं आना चाहता हैं.
न्यायपालिका में आरक्षण को लेकर भी उन्होंने बात की और कहा कि अभी तक इसपर विचार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अदालत में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व रहता है, ये सुप्रीम कोर्ट है. जहां देश के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
जस्टिस एस. ए बोबडे ने कहा कि जब उन्हें CJI पद पर नियुक्ति की खबर मिली, तो सबसे पहले अपनी मां से बात की. रोल मॉडल को लेकर उन्होंने कहा कि अपने करियर में उन्हें जस्टिस लोढा, जस्टिस श्रीकृष्ण और जस्टिस सीके ठक्कर के साथ काम करने का अवसर मिला.
जस्टिस बोबडे के बारे में पढ़ें...
कोर्ट में केस की लाइव स्ट्रीमिंग पर उन्होंने कहा कि अभी तक उन्होंने इस मसले को नहीं देखा है, हालांकि ये काफी महत्वपूर्ण मसला है.