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असम CM के खिलाफ पोस्ट करने पर भाजपा आईटी सेल के दो सदस्य गिरफ्तार

असम में भाजपा के सोशल मीडिया टीम के सदस्यों को सरकार के खिलाफ विवादित पोस्ट करना भारी पड़ गया. पोस्ट में राज्य सरकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री के खिलाफ भी विवादित टिप्पणी की गई थी.

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असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (फाइल फोटो)
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (फाइल फोटो)

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असम में भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया टीम के सदस्यों को राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ विवादित पोस्ट करना भारी पड़ गया. टीम के दो सदस्यों को असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ कुछ मुद्दों पर विवादित टिप्पणी पोस्ट की थी.

इंडो एशियन न्यूज एजेंसी के मुताबिक पिछले 24 घंटे में भाजपा आईटी सेल के नीतूमोनी बोरा और नानी गोपाल दत्ता को सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. साथ ही बुधवार रात को भाजपा आईटी सेल के सदस्य हेमंत बरुआ के घर पर भी पुलिस ने छापेमारी की. गिरफ्तार किए गए लोगों पर आरोप है कि उन्होंने सरकार और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक पोस्ट किया था. बोरा सेंट्रल असम के मोरीगांव और बरुआ माजुली के रहने वाले हैं.

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मोरीगांव के एसपी स्वपनिल डेका ने बताया, "राजू महंत ने नीतूमोनी बोरा के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया था. जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक बयान पोस्ट किया गया है. इसके बाद हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया." उनसे इस संबंध में पूछताछ की जा रही है.

भाजपा आईटी सेल के सदस्य ने क्या कहा

भाजपा आईटी सेल के एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "हमने असम में भाजपा के विस्तार के लिए 2014 में कड़ी मेहनत की. हम पार्टी की विचारधारा और पार्टी को बहुत पसंद करते हैं. हमने सोशल मीडिया पर तब की कांग्रेस सरकार के खिलाफ कैंपेन चलाया. उस सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया. तब भी हमारा कोई सदस्य गिरफ्तार नहीं हुआ था. कोई हमें बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार से कैसे वंचित कर सकता है. अगर हमें सोशल मीडिया पर अपने मन की बात कहने से रोका जाता है तो यह असहिष्णुता होगी. हमारे किसी सदस्य ने कोई आपत्तिजनक बात पोस्ट नहीं की है. उन्होंने सरकार द्वारा राज्य के लोगों की सुरक्षा देने में विफल होने पर चिंता जताई थी. इसमें कोई गलत बात नहीं है."

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में भी गुवाहाटी पुलिस थाना में कुछ लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर 7 दिसंबर को एक बैठक की थी और इस दौरान आपत्तिजनक बयान दिया था.

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