भारत ने रविवार को कहा कि चीन उसके लिए पाकिस्तान से ज्यादा चिंता का कारण है क्योंकि उसकी शक्ति का प्रभाव देश में अनेक क्षेत्रों में होता है.
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत के वैश्विक दृष्टिकोण में चीन अधिक महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के बीच रिश्ते क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि जहां तक पाकिस्तान की बात है उसका प्रभाव सीमित है.
वह इन सवालों का जवाब दे रहे थे कि चीन के साथ सीमा विवाद या पाकिस्तान के साथ विश्वास में कमी में से भारत के लिए अधिक बड़ी चुनौती कौन सी है.
खुर्शीद ने कहा, ‘चीन हमारे वैश्विक दृष्टिकोण से जरूर अधिक महत्वपूर्ण है. अर्थव्यवस्था के मामले में महत्वपूर्ण है. स्थिरता के मामले में और एशिया एवं दक्षिण एशिया पर हमारी मित्रता एवं समझ की स्थिरता के प्रभाव के मामले में अधिक महत्वपूर्ण है. जहां तक पाकिस्तान की बात है उसका प्रभाव सीमित है.’
उन्होंने कहा, ‘चीन बड़ी तस्वीर का हिस्सा है और उस तस्वीर में शामिल होने के नाते पाकिस्तान भी महत्वपूर्ण हिस्सा है और अगर पाकिस्तान का सही रंग नहीं हुआ तो यह तस्वीर बिगड़ सकती है.’
म्यांमार की तीन दिन की यात्रा से लौटते वक्त विदेश मंत्री ने कहा, ‘चीन को हम हर जगह अनेक स्तरों पर शामिल करते हैं. चीन एशिया और अफ्रीका में और अन्य कहीं भी बहुत बहुत महत्वपूर्ण साझेदार हो सकता है. हम संयुक्त राष्ट्र में जैसा चाहते हैं उसमें चीन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.’
खुर्शीद ने कहा, ‘चीन हमें लगातार यह याद दिलाता है कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाना है. हम यह मान सकते हैं कि चीन वहां नहीं है. लेकिन चीन वहां है और जब तक हम अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर नहीं लाते तब तक वह हम पर पूरी तरह दबाव बनाता रहेगा.’ मंत्री ने कहा, ‘इसलिए चीन बड़ी चिंता का कारण है और सार्थक मायने में पाकिस्तान भी है लेकिन बड़ी चिंता नहीं.’
खुर्शीद ने कहा, ‘क्योंकि पाकिस्तान में हमारे लिए खेल बिगाड़ने की क्षमता है इसलिए हमें पाकिस्तान को भी ध्यान में रखना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘चीन और पाकिस्तान के बीच भी कड़ियां हैं और ये महत्वपूर्ण हैं. लेकिन कड़ियां कम महत्वपूर्ण आयाम हैं.’
सीमा विवाद पर भारत के लिए चीन की तरफ से चुभने वाली बातों के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘मेरी वाकई इच्छा है कि ऐसा नहीं हो लेकिन ऐसा होता है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने उनके साथ रहना सीखा है. हमने उन्हें संभालना सीखा है. हमने उन्हें नियंत्रित करना सीखा है. लेकिन आज यह हमारी वास्तविक समस्या तक सीमित नहीं हैं जिनमें सीमा का मुद्दा है. हम चीन के साथ किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते क्योंकि हम यथासंभव सकारात्मक चीजों को देखना चाहते हैं.’
खुर्शीद ने कहा कि भारत को चीन के साथ शामिल होना चाहिए, बढ़ना चाहिए जैसा 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बीजिंग यात्रा के दौरान तय किया गया था. उन्होंने कहा कि भारत को चीन से संकेत मिल रहे हैं कि उभरता युवा नेतृत्व भी इसी रास्ते पर चलना चाहता है.